मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि नेत्रदान जागरूकता के लिए 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक नेत्रदान पखवाड़ा का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान स्वास्थ्य संस्थाओं, स्कूलों, कॉलेजों में जागरूकता गतिविधियों एवं परामर्श सत्रों का आयोजन भी किया जाएगा । साथ ही अशासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं के सहयोग से नेत्रदान के प्रति जागरूक किया जाएगा। इस दौरान ग्राम स्वास्थ्य पोषण एवं स्वच्छता समितियों व महिला आरोग्य समितियों की बैठक में अधिक से अधिक नेत्रदान के लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा ।
आंखे नहीं सिर्फ कॉर्निया निकाला जाता है नेत्रदान में
नेत्रदान कोई भी व्यक्ति कर सकता है। चश्मा लगाने वाले या कमदृष्टि वाले व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं। नेत्रदान के लिए मृत्यु के 6 घण्टे के भीतर कॉर्निया को निकाला जा सकता है। नेत्रदान में केवल कॉर्निया को निकाला जाता है। कॉर्निया आंखों का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। कॉर्निया के माध्यम से ही प्रकाश पुतली तक पहुंचता है। कॉर्निया को नुकसान पहुचने से अंधापन हो जाता है। नेत्रदान करने वाले की आंखों या चेहरे पर कोई विकृति नहीं आती है ।
कॉर्नियल ब्लाइण्डनेस से ग्रस्त हैं 68 लाख लोग
कॉर्निया का क्षतिग्रस्त होना, अंधत्व होने के प्रमुख कारणों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्वभर में 5 प्रतिशत आबादी कॉर्निया के क्षतिग्रस्त होने के कारण अंधेपन का शिकार होती है। भारत में लगभग 68 लाख लोगों की एक आंख में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस की समस्या है। इनमें से 10 लाख लोग दोनों आंखों में कॉर्निया होने के कारण अंधत्व का शिकार हैं। ऐसे लोगों को नेत्रदान के द्वारा रोशनी प्रदान की जा सकती है।
50 वर्ष से कम उम्र के लोगों को समस्या अधिक
2019 में किये गए नेशनल ब्लाइण्डनेस एण्ड विजुअल इपयरमेण्ट सर्वे के अनुसार भारत में 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में अंधेपन का सबसे प्रमुख कारण कॉर्निया का क्षतिग्रस्तहोना है। 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों में अंधेपन का यह दूसरा सबसे बड़ा कारण है। नेत्र दान के माध्यम से ऐसे सभी लोगों के जीवन में रोशनी लायी जा सकती है।
नेत्रदान बेहद आसान
नेत्रदान करने की प्रक्रिया बेहद आसान है। मृत व्यक्ति की कॉर्निया को मृत्यु के 6 घण्टे की भीतर निकाला जा सकता है। अस्पताल की टीम मृत व्यक्ति के पास जाकर कॉर्निया प्राप्त करती है। नेत्रदान के इच्छुक व्यक्ति एम्स, हमीदिया, जयप्रकाश हास्पिटल, सेवा सदन हॉस्पिटल में संपर्क कर सकते हैं। आई डोनर से उसकी सामान्य जानकारी प्राप्त करके आई डोनेशन फार्म भरा जाता है। डोनर की मृत्यु होने पर परिजन इन स्वास्थ्य संस्थाओं को सूचित कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाईन नंबर 1800-11-4770 पर भी संपर्क किया जा सकता है।