देवेंद्र फडणवीस का बड़ा बयान, ‘समय आया तो अजित पवार को 5 साल के लिए सीएम बनाएंगे’

make Ajit Pawar the CM for 5 years'

 

दिल्ली/मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में लगातार रोमांच बना हुआ है। ताजा खबर यह है कि डिप्टी सीएम अजित पवार की नाराजगी के बीच भाजपा नेता और मौजूदा सरकार में डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा बयान दिया है।

एक एक मीडिया कॉन्क्लेव में देवेंद्र फडणवीस स्पष्ट कर दिया कि अभी महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री बदले जाने की कोई जरूरत नहीं है। एकनाथ शिंदे ही मुख्यमंत्री रहेंगे। अजित पवार उपमुख्यमंत्री के रूप में सेवाएं देते रहेंगे। समय आया तो अजित पवार को पांच साल के लिए मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।

अजित दादा को छह महीने के लिए मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा। समय आएगा तो उन्हें पांच साल के लिए मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। – देवेंद्र फडणवीस, भाजपा

देवेंद्र फडणवीस Vs एकनाथ शिंदे Vs अजित पवार
बता दें, अजित पवार अपने काका शरद पवार से बगावत करके सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हुए थे। 40 विधायकों को साथ लेकर आने वाले अजित पवार को उप मुख्यमंत्री बनाया गया और उनके साथ आए राकांपा के आठ वरिष्ठ विधायकों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया।

विभागों के बंटवारे में भी अजित पवार की इच्छाओं का ख्याल रखा गया। उनकी वित्त मंत्री पद की मांग थी, वह उन्हें दिया गया है।

अजित पवार की एक और बात मानी

इसी क्रम में ताजा घटनाक्रम यह है कि अजित पवार को पुणे के प्रभारी मंत्री का दर्जा दिया गया है। अब तक यह प्रभार भाजपा के वरिष्ठ मंत्री चंद्रकांत दादा पाटिल के पास था। अजित पवार इसकी मांग लंबे समय से कर रहे थे।

अजित पवार भी जता चुके सीएम बनने की इच्छा

अजित पवार को लेकर अक्सर यह प्रश्न पूछा जाता है कि क्या वह सिर्फ उप मुख्यमंत्री बनने के लिए शिदे-फडणवीस सरकार में शामिल हुए हैं। अपने काका शरद पवार से बगावत करने के बाद खुद भी अजित पवार एक बार भरी सभा में कह चुके हैं कि हम पांच बार राज्य के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। कभी मुख्यमंत्री भी बनेंगे या नहीं।

शरद पवार की सहमति से 2019 में महाराष्ट्र में लगा था राष्ट्रपति शासन

इसी कार्यक्रम में देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा दावा किया कि महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद हम शरद पवार के साथ सरकार गठन पर चर्चा कर रहे थे। हमने विभागों के बंटवारे और प्रभारी मंत्रियों की जिम्मेदारियों को भी अंतिम रूप दे दिया था। लेकिन, पवार ने अपना रुख बदल लिया और पीछे हट गए। उन्होंने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला पवार की सहमति से ही लिया गया था। हालांकि एनसीपी में इस बात को झूठ करार दिया है।

Previous articleप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आज जबलपुर दौरा
Next articleपूजा में इस्तेमाल होने वाला कपूर आखिर कैसे बनता है? जाने इसका पूरा प्रोसेस