भोपाल। पीरगेट माता मंदिर से शनिवार सुबह अगवा हुईं दोनों बच्चियों को सोमवार रात क्राइम बांच की टीम ने कोलार से बरामद कर लिया। पुलिस को पूछताछ के दौरान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की महिला डाक्टर का नाम सामने आया है। जिसे एक लाख रुपये में भोपाल से अगवा बच्चों को बेचने का सौदा हुआ था। अब डाक्टर की गिरफ्तारी के पुलिस टीमें रवाना की जा रही हैं।
इस गिरोह में एक आरोपित की आपराधिक पृष्ठभूमि भी है। वह पहले भोपाल में रह चुका है। पुलिस के मुताबिक यह गिरोह शहर के अलग-अलग हिस्सों में बच्चों की तलाश कर रहा था। उनके निशाने पर गरीब बच्चे थे, जो सड़क किनारे भीख मांगने वाले या मजदूरों के थे। ये पहली बार भोपाल आए थे और वारदात को अंजाम देते इससे पहले पकड़े गए। पूछताछ में उन्होंने बताया कि वे पहले भी बच्चे इसी तरह से बेच चुके हैं।
शहर से बाहर निकालने की तैयारी में थे
आरोपित बच्चियों को शहर से बाहर निकालने की तैयारी में थे, इसलिए पहचान छिपाने के लिए दोनों का सिर मुंडवाकर गंजा कर दिया था। पुलिस ने बच्चियों को अगवा करने वाले गिरोह के चार सदस्यों को पकड़ा है। ये हरियाणा और केरल के रहने वाले हैं। इनमें से एक दंपती हरियाणा का है, जो इस गिरोह को चला रहा था। महिला के साथ उसके भाई-बहन भी काम करते थे, जो बच्चियों को बाहर भेजने का काम करते थे। पुलिस ने इनके पास से 50 लाख की एक विदेशी ब्रांड की कार भी बरामद की है। आरोपित करीब छह माह से शहर में थे। पुलिस इनसे पूछताछ कर रही है।
चार टीमें लगातार कर रही थीं तलाश
पुलिस के अनुसार, दोनों सगी बहनों की तलाश के लिए क्राइम ब्रांच, साइबर क्राइम, कोतवाली और हनुमानगंज थाने की टीम लगातार काम कर रही थी। पुलिस 155 सीसीटीवी कैमरों का फुटेज खंगालने के बाद रूट मैप बनाकर तलाश कर रही थी। इसी रूट मैप की मदद से टीम कोलार की कवर्ड कैंपस इंग्लिश विला कालोनी पहुंची। यहां हरियाणा निवासी निशांत (35), उसकी पत्नी अर्चना सिंह (32) रह रहे थे। अर्चना अपने तीन बच्चों 15 साल की लड़की और तीन साल और ढाई माह के दो बेटों के साथ रह रही थी। इनके साथ अर्चना की बहन मुस्कान और भाई सूरज भी रहता था। पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित निशांत 12 तक पढ़ा है। पति-पत्नी दोनों 50 लाख की विदेशी ब्रांड की कार से रैकी किया करते थे।
साढ़े सात हजार में किराये पर लिया था कमरा
आरोपितों ने साढ़े सात हजार रुपये में रूपेश सोनी का मकान किराये पर ले रखा था। ये यहां करीब सात माह से रह रहे थे। ये सभी यहां क्यों रह रहे थे और अभी तक कितने बच्चों को अगवा किया, इसकी जानकारी पुलिस जुटा रही है।
यह है मामला
बता दें कि रतलाम निवासी मुकेश आदिवासी एक महीने पहले ही पत्नी लक्ष्मी, बेटी काजल (8), बेटा संदीप और बेटी सोना और 11 महीने की बेटी दीपावली के साथ लालघाटी के बरेला गांव में रहने आया था। वह रिश्तेदार के घर पर रहकर मजदूरी कर रहा था। शनिवार सुबह मुकेश की पत्नी माता मंदिर में बैठी थी। इसी दौरान उसके पास दो महिलाएं आईं और कन्या भोज के नाम पर काजल और दीपावली को अपने साथ ले गईं। जब काफी देर महिलाएं बच्चियों को लेकर नहीं आईं तो पुलिस में इसकी शिकायत की गई।
मानव तस्करी से जुडे़ हो सकते हैं तार
क्राइम ब्रांच की डीसीपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने बताया कि पूरा मामला शुरुआती जांच में है। अभी आरोपितों से पूछताछ जारी है। इन्होंने बच्चियों की पहचान छिपाने के लिए उनके बाल मुंडवा दिए थे। पूरे मामले को मानव तस्करी से जोड़कर देखा जा रहा है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह गिरोह पहले भी बच्चों को अगवा करने के मामले में दिल्ली पुलिस हत्थे चढ़ चुका है।