गुना। भाजपा ने रविवार को अपनी 6वीं और अंतिम सूची जारी की, जिसमें होल्ड पर रखी गुना सीट से टिकट फाइनल कर दिया। इस तरह गुना सीट का लंबा इंतजार पन्नालाल शाक्य की उम्मीदवारी पर आकर खत्म हो गया। खास बात यह कि शाक्य उक्त सीट से दूसरी बार चुनाव लड़ेंगे, क्योंकि इससे पहले 2013 में कांग्रेस के नीरज निगम को करीब 45 हजार मतों से चुनाव हराकर विधायक चुने गए थे।
दरअसल, जिले की चार विधानसभा सीटों में से भाजपा एकमात्र गुना सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित नहीं कर पा रही थी। जबकि कांग्रेस ने चारों सीट से अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए थे। लेकिन गुना सीट को भाजपा द्वारा लगातार होल्ड पर रखा जा रहा था, जिससे राजनीतिक गलियारों में भी तमाम तरह की चर्चाएं चल पड़ी थीं।
वहीं दूसरी ओर उक्त सीट से दावेदारी कर रहे दावेदार भी पशोपेश में थे, जिन्होंने न केवल फार्म खरीदे बल्कि जमा भी कर दिए थे। लेकिन भाजपा द्वारा उम्मीदवारी घोषित न किए जाने से असमंजस के बादल छाए हुए थे। इसी बीच रविवार को अचानक बीजेपी ने अपनी छठवीं सूची जारी की, जिसमें गुना विधानसभा क्षेत्र से पन्नालाल शाक्य को प्रत्याशी घोषित कर तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया।
दो वरिष्ठ नेताओं में तालमेल न बैठ पाने से होल्ड पर रही सीट
भाजपा के सूत्रों की मानें, तो गुना सीट को नामांकन दाखिले की अंतिम तिथि से दो दिन पहले तक होल्ड पर रखने के पीछे दो वरिष्ठ नेताओं (जो केंद्रीय मंत्री भी हैं) के बीच तालमेल न बैठ पाना बताया गया है। क्योंकि, टिकट की कतार में मुख्य रूप से गोपीलाल जाटव, नीरज निगम और पन्नालाल शाक्य को माना जा रहा था। इनमें दो दावेदारों के लिए दो वरिष्ठ नेता अड़े हुए थे, तो ऐसे में पार्टी द्वारा बीच का रास्ता खोजते हुए पूर्व विधायक पन्नालाल शाक्य को दूसरी बार उम्मीदवार बनाया।
इस्तीफा न दे पाने से 1977 में चुनाव लड़ने से चूक गए थे पन्नालाल
भाजपा के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि पन्नालाल शाक्य पेशे से शिक्षक रहे हैं। वे आरएसएस के स्वयंसेवक रहे हैं। 1977 में भी पार्टी ने शाक्य को टिकट दिया था, लेकिन अंतिम समय तक सरकारी नौकरी से इस्तीफा न दे पाने के चक्कर में चुनाव लड़ने से चूक गए थे। इसके बाद वे संघ से जुड़े रहे और संघ की गतिविधियों का हिस्सा रहे।
2013 में बड़ी जीत हासिल की पर 2018 में नहीं मिला था टिकट
खास बात यह कि 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने गुना (अजा) सीट से पन्नालाल शाक्य को टिकट दिया। हालांकि, इस दौरान ज्यादातर मतदाताओं के सामने चेहरा नया था, लेकिन गुना सीट पर संघ और भाजपा की मजबूत पकड़ के चलते शाक्य ने कांग्रेस उम्मीदवार नीरज निगम को करीब 45 हजार मतों से पराजित किया।
लेकिन 2018 के चुनाव में दावेदारी के बाद भी पार्टी ने उन्हें टिकट न देकर 2013 में अशोकनगर विधायक रहे गोपीलाल जाटव को गुना लाकर उम्मीदवार बनाया। शाक्य को टिकट न मिलने के पीछे तमाम तर्क दिए गए, जिनमें उनकी विधायकी के दौरान बयानबाजी, चंद कार्यकर्ताओं से घिरे रहना, एंटी इन्कमबैंसी जैसी बातें सामने आईं।