मध्यप्रदेश भाजयुमो कार्यसमिति के पूर्व सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह तोमर रामू के बारे में वायरल हुए तीन वीडियो ने उनके पिता केन्द्रीय कृषि मंत्री व दिमनी विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र सिंह तोमर की स्वच्छ, ईमानदार छवि पर प्रतिकूल असर डाला है। हालांकि करोड़ों के लेन-देन वाले ये कथित वीडियो दिमनी विधानसभा क्षेत्र के नतीजोंं को प्रभावित नहीं करेंगे, लेकिन इसने प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी की न खाउंगा न खाने दूंगा की छवि को धक्का पहुंचाया है। इसलिए संभव है कि लोकसभा चुनाव के कुछ महीनों पहले संभवत: जनवरी २०२४ में तोमर से इस्तीफा देने को प्रधानमंत्री कह सकते हैं और इस मामले में जांच भी केन्द्रीय एजेंसियों को सौंप सकते हैं । भाजपा के लिए यह इसलिए भी जरूरी होगा , क्योंकि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे पर मोदी सरकार को जमकर घेरा था और लोकसभा चुनाव में भी वह भाजपा के इस कथित भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाएगी।
यदि विधानसभा चुनाव नतीजों में भाजपा फिर से सत्ता में आती है और तोमर दिमनी चुनाव जीतते हैं तो भी शायद केन्द्रीय नेतृत्व उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाए। इसके पीछे दो वजह होंगी । एक तो , लोकसभा चुनाव में आदिवासी वोटरों को साधने के लिए किसी आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। दूसरी वजह , तोमर के खिलाफ वीडियो प्रकरण को कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी भुनाने का प्रयास करेंगे।
अब लोकसभा चुनाव नरेन्द्र सिंह तोमर लड़ सकते हैं या नहीं इस पर भाजपा नेतृत्व सोच-समझ कर फैसला हलेगा। उपरोक्त वायरल वीडियो न केवल नरेन्द सिंह के लिए न केवल भाजपा नेतृत्व के लिए सिरदर्द बना रहेगा। यानी आने वाले दिन-महीने नरेन्द्र तोमर के लिए राजनैतिक चुनौती भरे हो सकते हैं।
प्रदीप मांढरे
सम्पादक
ग्वालियर हलचल सान्ध्य देैनिक
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