भोपाल। अयोध्यानाथ भगवान श्री राम जी के भव्य मंदिर में विराजमान होने के उपलक्ष्य में पूरा मध्यप्रदेश राममय हो रहा है। अपने नवाचारों और हिन्दुत्व वादी छवि के लिए लगातार चर्चित रहने वाले विधायक रामेश्वर शर्मा भी राजा राम के आगमन पर लगातार विभिन्न आयोजन करा रहे हैं। शनिवार को उन्होंने संत हिरदाराम नगर स्थित हेमू कालानी स्टेडियम में मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन कराया। इस आयोजन में 11 हजार रामभक्तों ने एक साथ उपस्थित होकर हनुमान चालीसा का पाठ किया। विधायक रामेश्वर शर्मा के कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव व उप-मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल भी सम्मलित हुए। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया व रामभक्तों के साथ भक्तिभाव के साथ हनुमान चालीसा का पाठ किया। आयोजन से पूर्व मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री व विधायक शर्मा ने शहीद हेमू कालानी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की, जिसके बाद कार्यक्रम विधिवत प्रारंभ हुआ।
बच्चों के साथ राम धुन पर झूमे रामेश्वर शर्मा
हेमू कालानी स्टेडियम में आयोजित सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ कार्यक्रम में इतनी भीड़ जुटी कि पूरा स्टेडियम रामभक्तों से खचाखच भरा था। कार्यक्रम के दौरान नागरिकों के उत्साह में पूरा स्टेडियम झूम उठा। 11 हजार रामभक्तों का स्वर जब हनुमान चालीसा के रूप में गूँजा तो कण-कण राममय हो गया। विधायक रामेश्वर शर्मा भी राम भजनों पर बच्चों के साथ जमकर नाचते दिखे। विधायक शर्मा ने इस दौरान भजन भी गाए और राम-गाड़ी पर बैठकर आनंद लिया।
रामेश्वर शर्मा हिन्दुओं की प्रखर आवाज हैं – राजेन्द्र शुक्ल, उप-मुख्यमंत्री मप्र
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मध्यप्रदेश के उप-मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि – वर्षों के संघर्ष के बाद यह शुभ घड़ी आई है जब हम अपने रामलला को भव्य मंदिर में विराजमान होते देख रहे हैं। इस घड़ी में ऐसा भव्य आयोजन कराकर विधायक रामेश्वर शर्मा ने रामभक्तों की आस्था को और प्रबल किया है। जिस तरह उत्तर प्रदेश में योगी जी और असम में हेमंत विस्वा सरमा हिन्दुओं की प्रखर आवाज हैं, उसी तरह मध्यप्रदेश में भाई रामेश्वर शर्मा हिन्दुओं की प्रखर आवाज है। उनका हर आयोजन भव्य और अनोखा होता है। इस सफल आयोजन के लिए उन्हें बधाई।
11 हजार रामभक्तों के साथ सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ प्रशंसनीय – मुख्यमंत्री मोहन यादव
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अयोध्या में श्री राम मंदिर के लिए कई जन्मों के बाद प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। हम सभी सौभाग्यशाली हैं, ये शुभ घड़ी सामने आई है। इसके लिए गत पांच सौ वर्ष से कई पीढ़ियां खप गईं। आने वाली 22 जनवरी को सुशासन और रामराज का नया इतिहास बनेगा। नये दौर का नया भारत बनेगा। उन्होंने आगे कहा कि हनुमान चालीसा से भक्ति और शक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। अयोध्या में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान जी को आधार बनाकर 11 हजार रामभक्तों के साथ सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ प्रशंसनीय है। हम सभी के लिए भगवान श्रीराम आराध्य हैं। अयोध्या में मंदिर का बनना अखंड भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है। भारतवासी आज समृद्धशाली अतीत को याद कर रहे हैं।
सात जन्मों के पुण्योदय से राम काज कर पाए रहा हूँ। – रामेश्वर शर्मा
कार्यक्रम में संबोधित करते हुए विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि – धन्य हैं वो लोग जिन्होंने रामलला के लिए तन, मन, धन और प्राण समर्पित कर दिए। जिनके बलिदानों की कीमत पर आज हमने रामलला का भव्य मंदिर पाया है। मैं स्वयं कारसेवा के लिए गया। उस समय पर भी मेरा यही विचार था कि “यदि रामलला के काम न आए तो बेकार जिंदगानी है” मेरा आज भी यही विचार है। मैं तन-मन-प्राण लगाकर भी राम काज करने को आतुर रहता हूँ। उन्होंने आगे कहा कि अब कुछ घंटों के अंतराल के बाद हमारी आस्था के केन्द्र मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अपनी जन्मभूमि पर वापस लौट रहे हैं। उनके आगमन के हर्ष में पूरा देश सराबोर है। इसी हर्ष के वशीभूत होकर हमने 11 हजार रामभक्तों के साथ सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन किया है।
कार्यक्रम के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि – जब 11 हजार रामभक्तों का स्वर श्री हनुमान चालीसा के रूप में गुंजायमान हुआ तो ऐसा लगा जैसे अयोध्यानाथ स्वयं प्रकट होकर पवनसुत स्तुतियों को आशीष प्रदान कर रहे हों। रामभक्ति में सब ऐसे रमे कि लग रहा था मानो स्टेडियम का कण-कण जीवंत होकर राम धुन गा रहा था। उन्होंने आगे कहा कि राम जी के अभिनंदन में यह काज करके मेरा जीवन धन्य हो गया। मेरे सात जन्मों के पुण्यों के उदय से राम जी, हनुमान जी की कृपा से और रामभक्तों की आस्था से यह आयोजन सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ।
संत नगर वालों ने संपत्ति छोड़ दी लेकिन धर्म नहीं छोड़ा – रामेश्वर शर्मा
विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि संत नगर वो भूमि है जिसने धर्म के लिए सर्वस्व त्याग का पाठ सिखाया है। जब 1947 में देश विभाजन हुआ और सिंधी भाईयों से धर्मपरिवर्तन की शर्त रखी तो उन्होंने संपत्ति, घर, द्वार सब छोड़ दिया लेकिन अपना धर्म नहीं छोड़ा। उनकी धर्मनिष्ठा हम सबके लिए प्रेरणा है। इसलिए आज इस आयोजन के लिए संत हिरदाराम नगर की पुण्यभूमि को चुना। धर्मभूमि पर राम काज कर के स्वयं को धन्य पाता हूँ।