Morena News: शहर के अधिकांश CCTV कैमरे बंद, जरूरत पड़ने पर फुटेज के लिए भटकती है पुलिस

CCTV cameras in the city

 

मुरैना शहर में निगरानी एवं सुरक्षा व्यवस्था के लिए हर व्यस्त व सार्वजनिक स्थल पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। कानून की यह तीसरी आंख बंद है। जब इन कैमरों की जरूरत पड़ती है, तब यह बंद मिलते हैं। पुलिस को बदमाशों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज के लिए कभी दुकानों तो कभी घरों के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों को ढूंढना पड़ता है।

 

दूसरी ओर शहर में हो रही लगातार वारदातों के बाद पुलिस को इन कैमरों की सुध आई और शुक्रवार को कुछ मुख्य व व्यस्त स्थलों के बंद कैमरों को चालू करने की कवायद शुरू हुई। सीसीटीवी कैमरो के बंद या खराब होने के कारण आम जनता किस तरह अपराध का शिकार हो रही है, इसे ऐसे समझें कि पांच दिन पहले फाटक बाहर क्षेत्र में छह साल के बच्चे के अपहरण का प्रयास हुआ।

तीन बाइक सवार बदमाशों ने बच्चे के पिता अरुण गोयल की आंखों में मिर्च झोंकी और फिर छह साल के माधव गोयल को कंबल में लिपेटकर दोपहिया वाहन पर बैठा लिया, गनीमत यह रही कि बच्चा छूटकर भागने में सफल रहा।

बच्चे के अपहरण का प्रयास ओवरब्रिज के पास लगे सीसीटीवी कैमरों के सामने हुआ, जो बंद व धुंधली हालत में हैं। इसलिए पुलिस बदमाशों की पहचान कर पाने में अब तक असफल है। जरूरत पड़ने पर पुलिस को घर व दुकानों के बाहर लगे कैमरों की फुटेज के लिए भटकना पड़ता है।

5 फरवरी को सराफा बाजार में हुई साढ़े 6 लाख की लूट करने वाले बदमाशों की पहचान के लिए भी पुलिस रातभर जागी और निजी लोगों के कैमरों की दर्जनों फुटेज निकालीं। यह तो केवल उदाहरण हैं, ऐसी कईयों घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन सीसीटीवी कैमरे काम हीं आ सके।

32 जगहों पर 189 कैमरे लगे

जबकि इन कैमरों को लगाने का उद्देश्य ही चेन स्नेचिंग, चोरी, लूट जैसी घटनाओं को अंजाम देने वाले बदमाशों पर नजर रखने का है। बाक्स189 में से 100 से ज्यादा कैमरे बंद या धुंधले हुएगौरतलब है कि साल 2018 में पुलिस हेडक्वार्टर ने हर शहर के प्रमुख, व्यस्त सार्वजनिक स्थलों व सड़कों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए। इसी क्रम में मुरैना शहर में भी 32 ऐसे स्थान चुने गए थे।

जिनमें शहर के सभी प्रमुख बाजार, मुख्य सड़क, तिराहा-चौराहा, बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन, कालोनियों की व्यस्त, प्रमुख सड़कों सहित अन्य जगहों पर 189 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। यह कैमरे आधुनिक व उच्च गुणवत्ता वाले थे, जो आधा किलोमीटर दूर की चीजों की रिकार्डिंग करने में सक्षम हैं।

इनमें से अधिकांश बंद या फिर धुंधले हो चुके

लेकिन देख-रेख के अभाव, समय पर सर्विसिंग नहीं होने के कारण 100 से ज्यादा कैमरे या तो बंद हैं या फिर इतने धुंधले हो चुके हैं, कि किसी की सूरत एवं वाहनों के नंबर भी नहीं दिखते।

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