Farmers Protest News: देश में एक बार फिर किसान आंदोलन पर उतर आए हैं। पंजाब और हरियाणा सहित कुछ प्रदेशों से किसान दिल्ली पहुंच चुके हैं। किसानों को राजधानी में घुसने से रोकने के लिए सुरक्षा के कढ़े इंतजाम किए गए हैं। सिंधु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, इरौंदा बॉर्डर और शंभू बॉर्डर पर सुरक्षा बल तैनात है। किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण दिल्ली से लगी सीमाओं पर भीषण जाम लग गया है।
इस बार आंदोलन की अगुवाई संयुक्त किसान (अराजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा कर रहे हैं। दोनों संगठन पहले संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा रहे हैं। किसान मजदूर मोर्चा 18 किसानों का ग्रुप हैं। सरवन सिंह पंढेर जिसके संयोजक हैं। दोनों ही समुहों में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसान शामिल हैं।
कौन संगठन कर रहे दिल्ली चलों की अगुवाई
कृषि कानूनों के रद्दे होने के बाद जब किसानों ने वापस लौटना शुरू किया, तो कृषि समूहों के बीच मतभेद पैदा हो गए। जिससे समूहों के कई विभाजन हो गए। अब सक्रिय किसान संगठनों की संख्या करीब 50 है, जबकि 2020 में 32 थी। 200 से अधिक किसान संगठन दिल्ली कूच में शामिल हैं।
जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बनाया अलग संगठन
जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में कृषि संगठन बीकेयू ने छोटे समूहों को साथ लिया है। एक संगठन एसकेएम (गैर-राजनीतिक) का गठन किया है। इसमें मप्र, हरियाणा और राजस्थान के किसान समूह शामिल हैं। इसनें किसान मजदूर मोर्चा के साथ मिलकर दिल्ली चलो के आह्वान के साथ अमृतसर और बरनाला में रैलियां की। डल्लेवाल पहले संयुक्त किसान मार्चा का हिस्सा रहे हैं। बार में बलबीर सिंह राजेवाल के साथ मिलकर संगठन बना लिए।
किसान मजदूर मोर्चा
10 किसान समूहों ने मिलकर किसान मोर्च का गठन किया है। इसके संयोजर सरवन सिंह पंढेर है। इस संगठन में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के एसकेएम (गैर-राजनीतिक) जुड़े हुए हैं। इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन, ऑल इंडिया किसान फेडरेशन, किसान संघर्ष कमेटी पंजाब, बीकेयू (मानसा) और आजाद किसान संघर्ष कमेटी एक साथ आ गए हैं।
गुरनाम सिंह चढूनी ने दूरी बनाई
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने आंदोलन से दूरी बना ली है। उन्होंने किसानों के दिल्ली कूच पर सवाल खड़े किए हैं। उनका आरोप है कि उन नेताओं को अलग रखा गया है, जो पिछले आंदोलन में शामिल थे। गुरनाम ने कहा कि पिछली बार तय हुआ था कि जरूरत पड़ने पर आंदोलन दोबारा किया जाएगा। अब किसान फिर से प्रदर्शन करने जा रहे हैं, तो उन्हें पहले किसान यूनियनों की बैठक बुलानी थी। हमसे परामर्श तक नहीं किया। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता हनन मोल्ला ने कहा कि ऑल इंडिया किसान सभा संयुक्त किसान मोर्चा का दल है। हम प्रदर्शन में शामिल नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा से कुछ दल अलग हो गए और यह आंदोलन उन्होंने बुलाया है।