अंशकालीन, ग्राम पंचायत कर्मचारी सहित लाखों कर्मचारी अब भी न्यूनतम वेतन से वंचित: जीतू पटवारी

भोपाल : शनिवार, जून 15, 2024/ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि स्कूल शिक्षा, जनजातीय विभाग के तहत ग्राम पंचायतों के चौकीदार, भृत्य, पंप आपरेटर, स्कूलों, छात्रावासों के अंशकालीनकर्मी, योग प्रशिक्षक, मोबिलाईजर सहित प्रदेश के लाखों अल्पवेतनभोगी कर्मचारी सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के चलते न्यूनतम वेतन के दायरे से बाहर हैं जो न्यूनतम वेतन 2000 से 5000 रूपये में 15 से 20 साल से नौकरी कर रहे हैं। उक्त संबंध में न्यूनतम वेतन सलाहकार परिषद के श्रमायुक्त भोपाल की अनुशंसानुसार प्रदेश के समस्त कलेक्टरों को पत्र लिखकर निराकरण करने की मांग भी की गई, लेकिन सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।

पटवारी ने कहा कि प्रदेश में विगत 15-20 साल से चतुर्थ श्रेणी के पदों पर सरकार द्वारा भर्ती नहीं की गई है। सभी विभागों में चतुर्थ श्रेणी के लाखों पद रिक्त हैं, इन पदों पर अंशकालीन, अस्थाई, आउटसोर्स, ठेका कर्मचारी काम करते हैं। ये कर्मचारी गरीब, मजदूर एवं कमजोर परिवारों से आते हैं, इन कर्मचारियों को सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन भी नहीं मिलता, जिस कारण वे आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। देश के संविधान के भाग 4 राज्य की नीति के निदेशक, कण्डिका 43 में राज्य द्वारा कर्मकारों के लिए उनके शिष्ट जीवन स्तर को दृष्टिगत रखते हुए मजदूरी निर्धारित करने का प्रावधान है, जिसके अंतर्गत न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 देश में प्रभावशील है। इस अधिनियम में राज्य सरकारों द्वारा अपने प्रदेशों में नियोजन वार न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने की शक्ति भी उन्हें प्रदत्त है।

पटवारी ने कहा कि मध्यप्रदेश में अक्टूबर 2014 में लागू की गईं पुनरीक्षित न्यूनतम मजदूरी दरों का पुनः पुनरीक्षण पांच वर्ष के अंदर अक्टूबर 2019 तक किया जाना अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत अनिवार्य था, लेकिन यह बहु प्रतीक्षित पुनरीक्षित न्यूनतम मजदूरी दरें दस वर्ष में 1 अप्रैल 2024 से राज्य सरकार लागू की गईं जिसके तहत अकुशलक को 11800/- रूपये, अर्धकुशल को 12796/- कुशल को 14519/- और उच्च कुशल को 16144/- रूपयें मासिक वेतन देने का प्रावधान किया गया है। किंतु प्रदेश के ग्राम पंचायतों के चौकीदार, भृत्य, पंप आपरेटर, स्कूलों, छात्रावासों के अंशकालीनकर्मी, योग प्रशिक्षकों को उक्त वेतन नहीं मिला रहा है, जिससे उनमें व्यापक स्तर पर आक्रोश व्याप्त है।

पटवारी ने कहा कि कम वेतन मिलने से पूरे प्रदेश में श्रमिक आक्रोशित होकर नियोजन स्थलों में आंदोलन पर उतर आए है। पीथमपुर, मालनपुर, रतलाम, खरगौन, मंडीदीप तथा प्रदेश के अन्य कई स्थानों पर काम बंद कर गतिरोध की स्थिति निर्मित हुई है। ज्ञात हुआ है कि मालनपुर में श्रमिकों द्वारा चक्काजाम भी किया गया। जिससे आवागमन बाधित हुआ तथा आमजन कई घंटों तक परेशान हुए। इससे सरकारी दफ्तरों में संविदा में लगे कर्मियों में भी उथल पुथल जारी है।

पटवारी ने कहा कि न्यूनतम वेतन को लेकर कर्मचारियों के हित में याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रदेश में क्षेत्रवार न्यूनतम मजदूरी पुनरीक्षित कर निर्धारित नहीं करने का मुद्दा भी उठाया गया है। लेकिन यह मामला न तो न्यूनतम मजदूरी सलाहकार परिषद के विचार हेतु लाया गया और न ही सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी के संबंध में प्रारंभिक अधिसूचना जारी कर आपत्तियां आमंत्रित करने पर उठाया गया। ऐसे में सरकार द्वारा पुनरीक्षित दरों के संबंध में अंतिम अधिसूचना जारी करने के उपरांत क्षेत्र वार न्यूनतम मजदूरी दरों के निर्धारण का सवाल उठाना न तो व्यावहारिक है और न ही विधिसम्मत है।

पटवारी ने कहा कि मध्यप्रदेश पिछड़ा और आदिवासी बाहुल्य तथा कल्याणकारी राज्य होने के कारण प्रदेश में क्षेत्रवार मजदूरी दरों का निर्धारण नहीं कर पूरे राज्य के सभी श्रमिकों के लिए एक समान न्यूनतम मजदूरी दरें लागू करने का निर्णय लिया गया था, जिस पर आगे कोई कार्यवाही नहीं हुई। प्रदेश के लाखों श्रमिक परिवारों का जीवन निर्वाह राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से होता है और वर्तमान विकट महंगाई के दौर में इन कर्मियों की लगभग 75 रूपये प्रतिदिन मजदूरी कम हो जाने से श्रमिक परिवारों के समक्ष गंभीर आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

पटवारी ने कहा कि मध्यप्रदेश के इतिहास में यह पहली बार है हुआ है कि अंतिम पंक्ति के लोगों को देय अधिसूचित न्यूनतम मजदूरी रोकी गई। फलस्वरूप श्रमिक तथा उद्योग जगत में असमंजस, अनिश्चय तथा उहापोह की स्थिति व्याप्त हो गयी जो बेहद चिंताजनक है। वस्तुतः श्रमिकों से संबंधित न्यूनतम मजदूरी तथा अन्य विषय त्रिपक्षीय समितियों यथा म.प्र. श्रम सलाहकार परिषद तथा न्यूनतम मजदूरी सलाहकार परिषद एवं अन्य सलाहकार समितियों में विचारोपरांत हल किये जाने की विधिमान्य प्रक्रिया है, सरकार उक्त प्रक्रिया पर अपनाकर श्रमिकों के साथ तत्काल न्याय करें।

पटवारी ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस आउटसोर्स प्रकोष्ठ के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा द्वारा ग्राम पंचायतों के चौकीदार, भृत्य, पंप आपरेटर, स्कूलों, छात्रावासों के अंशकालीनकर्मी, योग प्रशिक्षक, मोबिलाईजर सहित प्रदेश के लाखों अल्पवेतनभोगी कर्मचारी सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरोध में 16 जून को प्रदेश स्तरीय धरना-प्रदर्शन राजधानी भोपाल में आयोजित किया गया है।

 

 

 

Previous articleमिश्रा की कुशल रणनीति से मंडला संसदीय सीट पर भाजपा को मिली बड़ी जीत
Next articleउत्तर प्रदेश विधान परिषद के तेरह निर्वाचित सदस्यों को विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र ने दिलाई शपथ