इंदौर : रविवार, जुलाई 14, 2024/ केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज मध्य प्रदेश के इंदौर से राज्य के सभी 55 जिलों में बनाए गए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी देशवासियों के सामने ऐसे भारत के निर्माण का लक्ष्य रखा है कि वर्ष 2047 में जब भारत की आज़ादी के 100 साल पूरे हों, तब हमारा देश हर क्षेत्र में पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर हो। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे भारत का निर्माण करना है तो यह काम शिक्षा की नींव मजबूत किए बिना नहीं हो सकती, इसलिए मोदी जीने अपनी दूरदर्शी सोच के अनुरूप वर्ष 2020 में नई शिक्षा नीति लाने का काम किया। अमित शाह ने कहा कि आगामी 25 सालों की जरूरत को पूरा करने वाली सभी चीजों को विजुलाइज कर नई शिक्षा नीति लाई गई है। नई शिक्षा नीति आने वाले 25 सालों तक भारत के विद्यार्थियों को विश्व भर के विद्यार्थियों के साथ स्पर्धा करने के योग्य बनाएगी, वहीं दूसरी ओर हजारों साल पुरानी हमारी संस्कृति और भाषाओं के साथ भी हमारे विद्यार्थियों को जोड़ने का काम करेगी।
मध्यप्रदेश सरकार को बधाई देते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश में अगर सबसे पहले नई शिक्षा नीति कहीं जमीन पर उतरी तो वह मध्यप्रदेश में हुआ। उन्होंने कहा कि पहले भी पूरे देश में सिर्फ मध्यप्रदेश ही वह राज्य रहा है जिसने इंजीनियरिंग और मेडिकल साइंस के पाठ्यक्रम का अपनी मातृभाषा में अनुवाद करने की पहल की। इससे बहुत सारे गरीब बच्चों को मातृभाषा में उच्च शिक्षा के तौर पर मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग का ज्ञान लेने का फायदा मिला है।
अमित शाह ने कहा कि आज लगभग 486 करोड़ रुपए की लागत से प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का शुभारंभ हो रहा है और यह सिर्फ नाम बदलने का कार्यक्रम नहीं है। इसके ‘पैरामीटर्स’ और ‘क्राइटेरिया’ तय हैं और तब जाकर सभी 55 कॉलेज प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का दर्जा प्राप्त करने के योग्य बने हैं। उन्होंने कहा कि इन कॉलेजों में कंपार्टमेंटल शिक्षा नहीं होगी। अगर कोई छात्र बी.ए करना चाहता है और विज्ञान के भी किसी विषय में रुचि है तो वह साथ-साथ उस विषय में डिप्लोमा कर सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री ने उदाहरण देकर बताया कि अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और कला या भाषा में उसकी रुचि है,तो साथ-साथ वह उन विषयों की पढ़ाई कर सकता है। अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और टेक्नोलॉजी में रुचि है, तो भी वह अपनी रुचि के अनुसार डिप्लोमा कोर्स कर सकता है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय को मध्यप्रदेश ने आज खूबसूरती से उसे जमीन पर उतारा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी के भीतर की सभी शक्तियों को बाहर निकालना, उन्हें एक प्लेटफार्म देना और उन्हें विकसित होने का मौका देना है। अमित शाह ने कहा कि रटा रटाया ज्ञान और सिलेबस रटकर परीक्षा में नंबर लाना तो सरल है परंतु अपने भीतर के गुणों और ईश्वरदत्त शक्तियों का विकास करना बहुत कठिन है।
अमित शाह ने कहा कि आज जिन 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन हुआ है, वह विद्यार्थियों को बायोटेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, संस्कृति, कला जैसे ढेर सारे विषयों में अपनी रुचि के अनुसार अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि इन सभी कॉलेजों में बी.एड और बीएससी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए हैं। बीएससी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम के कारण युवा कृषि के साथ जुड़ेंगे और स्वरोजगार के कई सारे नए अवसर यहां से पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि बहुत सारे डिप्लोमा कोर्सेज और सर्टिफिकेट कोर्सेज को आईआईटी दिल्ली और कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से जोड़ने का काम किया गया है। मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी की पुस्तकों का केंद्र भी सभी 55 कॉलेजों में शुरू किया गया है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इंदौर अब तक कॉटन हब और स्वच्छता का हब माना जाता था, लेकिन अब इंदौर एजुकेशन हब बनने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इंदौर फार्मा, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, इन सब क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है। शाह ने कहा कि मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी कहते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर है।
अमित शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा के लिए ढेर सारे इनीशिएटिव लिए गए हैं। कई नए कोर्सेज शुरू किए गए हैं, कई विश्वविद्यालय भी बनाए गए हैं, मगर विद्यार्थियों को एक बार नई शिक्षा नीति को ज़रूर पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने युवाओं के भविष्य को संवारने के लिए नई शिक्षा नीति बनाई है। नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को ‘सिलेबस ऑफ़ एकेडमिक्स’के साथ-साथ ‘सिलेबस ऑफ लाइफ’भी सिखाया जाएगा। नई शिक्षा नीति के जरिये क्वांटिटी से हटकर क्वालिटी पर फोकस करने का काम किया गया है और ‘ऑर्थोडॉक्स् थिंकिंग’ की जगह ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोचने की आदत विद्यार्थियों में डालने के लिए नई शिक्षा नीति में ढेर सारे उपाय किए गए हैं। नई शिक्षा नीति में युवाओं को वोकेशनल और स्किल ट्रेनिंग देकर इंडस्ट्री और एकेडमिक्स के बीच गैप भरने का भी प्रयास किया गया है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में ग्लोबल लैंडस्केप से भारतीय शिक्षा पद्धति को जोड़ने का काम हमारी नई शिक्षा पद्धति करेगी और इससे भारतीय युवा सिलेबस को रटने की जगह आइडिया की रचना पर बल देगा। उन्होंने कहा कि हमारी नई शिक्षा नीति में डिग्री प्रदान करने की जगह युवाओं के 360 डिग्री डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है। शाह ने युवाओं से अपील की कि जीवन में अगर कोई सिद्धि प्राप्त करनी है तो सबसे पहले लक्ष्य तय करिए, क्योंकि लक्ष्य के बगैर जिया जा रहा जीवन समय को बर्बाद करता है। जब लक्ष्य तय हो जाता है तब कठोर परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता। कठोर परिश्रम ही हमें हमारे लक्ष्य तक पहुंचाता है। प्रारब्धर का भी आशीर्वाद तभी मिलता है जब पुरुषार्थ से हम इसकी पीठिका तैयार करते हैं। जीवन का एक लक्ष्य तय कर कठोर परिश्रम करने का लक्ष्य आज से ही तय करिए।
गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज की पीढ़ी इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा एनालिटिक्स की पीढ़ी है और इसलिए नई शिक्षा नीति में प्रैक्टिकल, स्किल डेवलपमेंट, वोकेशनल ट्रेनिंग जैसे प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में भारत निश्चित तौर पर विश्व में सर्वप्रथम बनेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमारे सामने आजादी की शताब्दी का लक्ष्य रखा है। मंच पर बैठे हम में से बहुत कम लोग 2047 में होंगे, मगर मेरे सामने वह सारे बच्चे हैं जो 2047 में देश के नागरिक होंगे। 2047 में भारत को महान बनाने का जो लक्ष्य रखा गया है वह आपके लिए है। आप वह दिन देखोगे जब पूरी दुनिया में हर क्षेत्र में भारत महान होगा और इसकी नींव डालने का काम हमारी नई शिक्षा नीति और आज के प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस करेंगे।