Garba Mahotasav Bhopal: अंतिम दिन देवमय हुआ सांस्कृतिक गरबा महोत्सव, सुंदरवन गार्डन में उमड़ा जन सैलाब
अलविदा भोपाल, अगले वर्ष फिर मिलने के वादे के साथ हुआ सांस्कृतिक गरबा महोत्सव का समापन
भोपाल। भोपाल शहर की शान व परम्परा बन चुका सांस्कृतिक सिंधी गरबा महोत्सव का चौथा व अंतिम दिन। महोत्सव की शुरुआत गणेश वंदना एवं जगदम्बे माता की आरती से की गई, उसके बाद 9 कन्याओं का पूजन कर इस सांस्कृतिक गरबा महोत्सव कार्यक्रम के अंतिम दिन की शुरूआत की। इसके बाद जैसे ही म्यूजिक की धुनो का गूँजना शुरू हुआ वैसे वैसे गरबा सर्कल में गरबा कर रहे अभ्यर्थियों की रफ़्तार भी बड़ती चली है। यहां बनाए गए दोनों सर्कल में तकरीबन 2000 लोग एक साथ गरबा कर रहे थे, और इतनी ही संख्या में लोग इसके बाहर फ्री राउंड में झूमने का इंतजार कर रहे थे। सांस्कृतिक गरबे में हर कोई गरबा के इस अंतिम दिन के हर पल का लुत्फ उठाना चाहता था, एक तरफ़ डीजे की धुनों पर नचाने की ख़ुशी और दूसरी तरफ आज अंतिम दिन होने का दुख लोगो के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था। सांस्कृतिक गरबे का अंतिम दिन गरबे का मुख्य मंच उल्लास के रंग में रंगा हुआ नजर आया, एन के म्यूजिकल ग्रुप द्वारा गरबे की गीतों का जमकर लुफ्त उठाया, ग्राउंड पर आए लोगों में भी गरबे में अलग अलग परिधान पहनने वाले लोगों के साथ फोटो और वीडियोज बनाने के लिए उत्साह नजर आया। सिंधी सांस्कृतिक गरबा महोत्सव के अंतिम दिवस पर करुणाधाम आश्रम के प्रमुख श्री शांडिल्य जी महाराज एवं भाजपा के प्रदेश महामंत्री, विधायक एवं सिंधी मेला समिति के संरक्षक भगवानदास सबनानी, मुंबई से किशोर भानुशाली (जूनियर देव आनंद) जयकिशन लालचंदानी, आनंद सबधानी, अनिलानंद महाराज, राहुल चेलानीं भी समारोह में विशेष रूप से शामिल हुए थे।
दर्शकों के बीच 160 फिट ऊँचाई से नीचे उतरे देव आनंद
सांस्कृतिक गरबा महोत्सव के अंतिम दिन सिंधी समाज के लिए काफी ख़ास रहा, इस दिन को खास बनाने के लिए सिंधी मेला समिति के अध्यक्ष मनीष दरयानी, एवं महासचिव नरेश तलरेजा द्वारा लोगों को जूनियर देव साहब को समाज के लोगों से रूबरू करवाने के लिये उनकी एंट्री क्रेन के माध्यम से करवाई, भोपाल के इतिहास में पहली बार किसी कलाकार की इतनी भव्य एंट्री 120 फिट ऊपर से नीचे तक करवाई गई, and जैसे ही किशोर भानुशाली ने देव साहब को ट्रिब्यूट करते हुए उनके सदाबहार गीत “” पल भर के लिये कोई प्यार कर ले, है अपना दिन तो आवारा, ख़्याब हो या हो कोई हक़ीक़त, कौन हो तुम बतलाओ जैसे अनेक गीत गाना शुरू किया, तो पूरा गरबे का वातावरण देवमय हो गया।