उपभोक्ताओं को अप्रैल से फिर मारेगा बिजली बिल करंट, बिजली कंपनियों ने दर वृद्धि के लिए की याचिका दाखिल

प्रदेश की बिजली कंपनियां अगले साल फिर से उपभोक्ताओं को बिजली के बिलों से करंट मारने की तैयारियों में जुट गई हैं। इसके लिए उनके द्वारा विद्युत नियामक आयोग में दर वृद्धि के लिए याचिका लगा दी गई है। इसमें बिजली कंपनियों ने पांच फीसदी से अधिक दर वृद्धि की मांग की है। इसकी वजह होने वाले घाटे को बताया गया है। अगर इसे आयोग मान लेता है तो नए वित्त वर्ष से उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त भार आना तय है। दरअसल बिजली कंपनियां बिजली चोरी रोकने में रुचि नहीं लेती हैं, जिससे कंपनियों को लगातार घाटा हो रहा है और इसका भार ईमानदार उपभोक्ताओं पर बिजली बिलों में वृद्धि कर डाल दिया जाता है। अफसर हर साल बिजली कंपनियों को घाटा लगने हवाला देकर बिजली का टैरिफ बढ़ाए जाने के लिए नियामक आयोग में याचिका दायर करती हैं। आयोग की सुनवाई के बाद दर वृद्धि के प्रस्ताव पर मुहर लग जाती है और उपभोक्ताओं से बड़े बिलों की वसूली से बिजली कंपनियों द्वारा घाटे की पूर्ति कर ली जाती है। इस बार बिजली कंपनियों ने दायर याचिका में 5 फीसदी से अधिक टैरिफ बढ़ाए जाने की मांग की है। अगर याचिका को मंजूर कर लिया जाता है तो फिर इस पर सुनवाई की जाएगी और दावे-आपत्तियां बुलाई जाएंगी। इसके बाद अगले साल मार्च तक नया टैरिफ तय हो जाएगा, जिसके आधार पर ही अप्रैल माह से नए टैरिफ के हिसाब से बिजली के बिल उपभोक्ताओं को मिलने लगेंगे।
2046 करोड़ का घाटा बताया
2024-25 में 3.86 फीसदी की डिमांड बिजली कंपनी ने साल 2024-25 के लिए 2046 करोड़ का घाटा बताते हुए टैरिफ में 3.86 फीसदी इजाफा करने की मांग की थी। आयोग ने घाटे को कम मानते हुए 0.07 फीसदी टैरिफ बढ़ाने की मंजूरी दी थी। इससे बिजली के टैरिफ में मामूली इजाफा हुआ था और उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में ज्यादा अंतर नहीं पड़ा था।
बीते दो सालों में हुई वृद्धि
बिजली कंपनियों ने साल 2023-24 में बिजली का टैरिफ बढ़ाए जाने के लिए विद्युत विनियामक आयोग में याचिका दायर की थी। इस याचिका में बिजली कंपनियों ने 1537 करोड़ का घाटा बताया था। इस घाटे की भरपाई के लिए बिजली कंपनियों ने आयोग से 3.20 फीसदी टैरिफ बढ़ाने की मांग की थी। उधर, विद्युत विनियामक आयोग ने जब बिजली कंपनियों के घाटे की जांच की तो, यह घाटा 795 करोड़ रह गया था, तब आयोग ने 1.65 फीसदी टैरिफ बढ़ाने की मंजूरी दी थी। इसी तरह से वर्ष साल 2022-23 बिजली का टैरिफ बढ़ाने की याचिका विद्युत विनियामक में दायर की थी। तब बिजली कंपनियों ने 3916 करोड़ का घाटा बताया था। इस घाटे की पूर्ति के लिए बिजली कंपनियों ने आयोग से 8.71 फीसदी बिजली का टैरिफ बढ़ाने की मांग थी। तब आयोग ने बिजली कंपनियों द्वारा दायर याचिकाओं की जांच की। आयोग ने जांच के बाद साफ लिखा कि गहन जांच के बाद 1181 करोड़ का घाटा आ रहा है। यानी आयोग की जांच के बाद बिजली कंपनियों का घाटा से आधे से भी कम रह गया था। तब आयोग ने बिजली के टैरिफ में 2.64 फीसदी का इजाफा किया था।

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