भाजपा के नए जिला अध्यक्षों वाली सूची का इंतजार बढ़ता जा रहा है। 23 जिलों में कई दिग्गजों के बीच समन्वय नहीं बनने से मामला उलझा है। प्रदेश भाजपा ने हर स्तर पर सुलह के प्रयास किए, पर बात नहीं बनी। सूत्रों के मुताबिक सत्ता की ओर हस्तक्षेप किया किया, तब भी हल नहीं निकला तो संघ ने भी सुलह के प्रयास किए।
अंतत: मामला अब दिल्ली पहुंच गया है। शीर्ष नेतृत्व से मंगलवार को प्रदेश संगठन को बुलावा आ गया। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा व प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा रवाना हो गए हैं।
असल में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति का मामला सिंगल और डबल सूची के बीच में भी उलझ गया है। सूत्रों का कहना है कि जिस प्रकार से नियुक्ति में देरी हुई है, उससे स्पष्ट है कि अब संगठन एक सूची में ही सभी जिला अध्यक्षों की घोषणा कर सकता है। कुछ का ये भी कहना है कि विवादित जिले होल्ड कर 50 से 60 प्रतिशत जिलों की घोषणा की जाएगी, ताकि प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाए।
इन जिलों का नहीं सुलझ पा रहा विवाद
ग्वालियर, ग्वालियर ग्रामीण, शिवपुरी, अशोकनगर, भिंड, सागर शहर, सागर ग्रामीण, धार शहर, धार ग्रामीण, भोपाल शहर, भोपाल ग्रामीण , इंदौर शहर, इंदौर ग्रामीण , जबलपुर शहर, जबलपुर ग्रामीण, छिंदवाड़ा, पांढुर्ना, सतना, टीकमगढ़, नर्मदापुरम, सीहोर। हाल ही में दो संगठनात्मक जिले सागर और धार में बनाए गए हैं। अब 62 हो गए हैं।
अपनों के लिए जोर
सूत्रों के मुताबिक ग्वालियर-चंबल में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, विवेक शेजवलकर से लेकर तमाम नेता जोर लगाए हुए हैं। इंदौर में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और रीवा में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल के दावेदार के नाम लगभग तय माने जा रहे हैं।
पिछड़ता गया मप्र भाजपा संगठन
संगठन चुनाव के हर चरण में अव्वल रहने वाला मप्र तीसरे चरण में पिछड़ गया है। जिला अध्यक्ष नियुक्ति मामले में छत्तीसगढ़, हिमाचल, असम और नागालैंड ने बाजी मार ली है।