भोपाल । मध्य प्रदेश के पांच लाख कर्मचारियों और उनके आश्रितों को मिलाकर 12 लाख लोगों को कैशलेस उपचार की सुविधा देने के लिए निजी अस्पतालों के पास नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फार हास्पिटल्स (एनएबीएच) का प्रमाण पत्र होना जरूरी है। अच्छी गुणवत्ता के साथ उपचार मिल सके, इसलिए यह व्यवस्था की जा रही है।
कर्मचारी निजी वार्ड में उपचार के लिए भर्ती होते हैं तो वह इलाज के पैकेज में शामिल नहीं माना जाएगा। वार्ड का खर्च कर्मचारी को उठाना होगा। बता दें कि इस साल अगस्त से कर्मचारियों के उपचार की नई नीति लागू होने के बाद कैशलेस उपचार की सुविधा दी गई है। इसके लिए निजी अस्पतालों से अनुबंध के बारे में शर्तें तय करने के लिए समिति बनाई गई थी।
समिति के सुझावों के आधार पर स्वास्थ्य आयुक्त डा. सुदाम खाड़े ने अनुबंध के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं। बीमा के तहत कर्मचारियों के लिए कैशलेस उपचार की सुविधा शुरू की गई है।
नए दिशा निर्देश में कहा गया है कि अस्पतालों को अनुबंध करने के लिए नए सिरे से सीएमएचओ के पास आवेदन करना होगा। सीएमएचओ उसी अस्पताल से अनुबंध करेंगे जिनकी एनएबीएच मान्यता की अवधि कम से कम छह माह बची हो। यह भी तय किया गया है कि कैंसर सर्जरी के लिए उन्हीं अस्पतालों से अनुबंध किया जाए जहां कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी की सुविधा उपलब्ध हो। ऐसा नहीं होने पर उन्हीं अस्पतालों की मान्यता पर विचार किया जाएगा जो दूसरे अस्पताल में यह सुविधाएं उपलब्ध कराने के संबंध में अनुबंध पत्र देंगे।