प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकसित भारत के निर्माण की दिशा में पहला कदम गांवों के विकास को समर्पित किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकसित भारत के निर्माण की दिशा में पहला कदम गांवों के विकास को समर्पित किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत के निर्माण की दिशा में पहले कदम के रूप में गांवों के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया है। गुजरात के भारवाड़ समाज से संबंधित बावलियाली धाम में एक कार्यक्रम के दौरान वीडियो संदेश में श्री मोदी ने सामूहिक प्रयास के महत्व का उल्लेख किया और लाल किले से दिया अपना वक्तव्य दोहराते हुए कहा कि सबका प्रयास ही देश की सबसे बड़ी सामर्थ्य है। प्रधानमंत्री ने समुदायों को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा में अत्याधुनिक तरीकों के महत्व पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने बालकों और विशेष ऱूप से बालिकाओं के उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन करने और सुदृढ़ समाज के लिए योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने भारवाड़ समुदाय के सेवा समर्पण, प्रकृति प्रेम और गोरक्षा प्रतिबद्धता की सराहना की। प्रधानमंत्री मोदी ने खुरपका और मुंहपका रोग से निपटने के लिए सरकार के पशुधन निशुल्क टीकाकरण कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए समुदाय से अपने मवेशियों का नियमित टीकाकरण सुनिश्चित करने की भी बात कही। प्रधानमंत्री मोदी ने पशुपालकों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड शुरू किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे व्यवसाय बढ़ाने के लिए कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त करने में सहायता मिल रही है।
प्रधानमंत्री ने देशी मवेशियों की नस्लों के संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए उनके संरक्षण और संवर्धन की महत्वपूर्ण पहल के रूप में राष्ट्रीय गोकुल मिशन का उल्लेख किया। श्री मोदी ने इसे अत्यधिक दोहन और रासायनिक पदार्थों के उपयोग से प्रभावित हुई धरती माता के स्वास्थ्य को सुधारने का उपाय बताया। प्राकृतिक खेती के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने समुदाय से भूमि को फिर से जीवंत बनाने के लिए इसे अपनाने का आह्वान किया।
उन्होंने भारवाड़ समुदाय से सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ उठाने का आग्रह किया। भारवाड़ समुदाय के सेवा समर्पण की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने मृदा शक्ति उर्वर बनाने में मवेशियों के गोबर का उपयोग करने की बात कही। ऐतिहासिक महाकुंभ के आयोजन पर अपार प्रसन्नता और गौरव प्रदर्शित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने महंत श्री राम बापू जी को इस पावन अवसर पर महामंडलेश्वर की उपाधि से विभूषित किए जाने का स्मरण किया और इसे एक बड़ी उपलब्धि और सभी के लिए प्रसन्नता का विषय बताया।

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