नंदा सप्तमी 30 नवंबर को मनाई जाएगी

धर्म ग्रंथों के अनुसार अगहन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नंदा सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा का काफी महत्व होता है। इस बार नंदा सप्तमी का त्योहार 30 नवंबर, बुधवार को मनाया जाने वाला है। नारद पुराण में इस दिन भगवान सूर्य के लिए मित्र व्रत करने का विधान बताया गया है। इस दिन सूर्यदेव को जल चढ़ाने से रोगों से मुक्ति मिलती है। साथ ही ग्रह दोष भी दूर होते हैं। आइए जानते हैं कि नंदा सप्तमी पर कौन-कौन से शुभ योग बनने जा रहे हैं और इसकी पूजा विधि क्या है।
नंदा सप्तमी शुभ योग
पंचांग के अनुसार, अगहन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 29 नवंबर, मंगलवार की सुबह 11:04 से 30 नवंबर सुबह 08:58 तक रहेगी। सप्तमी तिथि का सूर्योदय 30 नवंबर को होगा, इसलिए इसी दिन नंदा सप्तमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन मित्र, मानस और हर्षण नाम के 3 शुभ योग बन रहे हैं, इसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार हर तिथि का स्वामी अलग-अलग हैं। इसी क्रम में सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्यदेव बताए गए हैं। प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की सप्तमी तिथि को सूर्यदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। जिस सप्तमी पर रविवार का संयोग बनता है। उसे भानु सप्तमी कहते हैं। भविष्य पुराण में भी श्री कृष्ण के पुत्र सांब द्वारा सूर्य पूजा करने का वर्णन मिलता है। सूर्यदेव की कृपा से ही सांब को बीमारी से मुक्ति मिली थी।
नंदा सप्तमी पर करें ये कार्य
– नंदा सप्तमी के दिन सूर्यदेव को जल चढ़ाने के परंपरा है। इसके लिए तांबे के लोटे में जल, चावल और लाल फूल डालें और सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
– जल चढ़ाते समय ओम घृणि सूर्याय नमः का जाप करें। ऐसा करने से शक्ति, बुद्धि और अच्छी सेहत की प्राप्ति होती है।
– इस दिन अपनी क्षमता अनुसार तांबे के बर्तन, पीले या लाल कपड़े, गेहूं, गुड़ और लाल चंदन का दान करें।
संभव हो तो ब्राह्मण को भोजन भी करवाएं। इस दिन व्रत करें। एक समय फलाहार कर सकते हैं, लेकिन दिनभर नमक न खाएं।
– धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो भी व्यक्ति नंदा सप्तमी पर सूर्यदेव की पूजा विधि-विधान से करता है और दान आदि उपाय करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

Previous articleअपना व्यवहार सरल रखने से परिवार में सुख-शांति रहेगी
Next articleराहुल की भारत जोड़ो यात्रा पहुंची उज्जैन, बाबा महाकाल के किए दर्शन