54 सीटों पर आज तक नहीं जीता राजद
बिहार विधानसभा चुनावों की आहट तेज हो चुकी है और इस बार भी नजरें उन सीटों पर हैं, जहां अब तक बड़े दलों का गणित कभी नहीं बैठ पाया। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश की 54 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां राष्ट्रीय जनता दल (राजद) आज तक जीत का स्वाद नहीं चख पाया है। इसी तरह 9 सीटें ऐसी हैं जिन पर लगातार बीजेपी का कब्जा बना हुआ है। इन सीटों को लेकर यह कहा जा रहा है कि यहां परंपरागत जीत का समीकरण बाकी दलों के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है।
दल-बदल का असर नहीं दिखा
2010 से 2020 के बीच हुए चुनावों में इन क्षेत्रों में दल बदल का असर नहीं दिखा और मतदाताओं ने एक ही पार्टी पर भरोसा जताया। यही वजह है कि आने वाले चुनाव में भी यहां स्थानीय समीकरणों से ज्यादा परंपरागत वोट बैंक की भूमिका अहम मानी जा रही है।
राजद बना रहा खास रणनीति
विश्लेषकों के अनुसार, 1997 में बना राजद अब तक 6 विधानसभा चुनाव लड़ चुका है। लेकिन 54 सीटों पर लगातार हार झेलते-झेलते राजद अब खास रणनीति पर काम कर रहा है, जबकि बीजेपी अपनी 9 सीटों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए जमीन पर पहले से ही सक्रिय है। जानकारों का मानना है कि इन परंपरागत सीटों के नतीजे कई बार विधानसभा का बड़ा गणित तय कर देते हैं। इसलिए इस बार भी सभी की निगाहें इन्हीं पर टिकी रहेंगी।
कौन-कौन सी हैं 54 सीटें
राजद जिन 54 सीटों पर नहीं जीत पाया है उनमें सीमांचल से लेकर मगध और पटना तक के इलाके शामिल हैं। इन सीटों के नाम हैं- अररिया, फारबिसगंज, फुलपरास, बेनीपट्टी, सिकटी, बहादुरगंज, अमौर, कस्बा, बनमनखी, कदवा, पूर्णिया, बलरामपुर, कोढ़ा, मनिहारी, रामनगर, नरकटियागंज, लौरिया, नौतन, चनपटिया, बेतिया, सिकटा, रक्सौल, गोविंदगंज, रीगा, महाराजगंज, मांझी, विभूतिपुर, मटिहानी, बेगूसराय, खगड़िया, बेलदौर, सुल्तानगंज, भागलपुर, बरबीघा, अस्थावां, राजगीर, नालंदा, हरनौत, बाढ़, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, बिक्रम, तरारी, अगियांव, बक्सर, डुमरांव, राजपुर, घोसी, हिसुआ, वारिसलीगंज, सिकंदरा, झाझा शामिल है।


















