शरद पूर्णिमा पर बनेगा ग्रह-नक्षत्रों का दुर्लभ संयोग

शरद पूर्णिमा पर बनेगा ग्रह-नक्षत्रों का दुर्लभ संयोग
हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2025) का विशेष महत्व होता है। इस बार 6 अक्टूबर को यह पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी यह दिन बेहद खास रहने वाला है। ग्रहों का दुर्लभ ग्रहण का अद्भुत संयोग बन रहा है। जिसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ेगा। कई लोगों के लिए यह समय बेहद ही अनुकूल रहेगा। धन लाभ और तरक्की के द्वार खुलेंगे। भाग्य का साथ भी मिलेगा। आइए जानें किन लोगों पर मां लक्ष्मी मेहरबान रहने वाली हैं?

6 अक्टूबर यानि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा मीन राशि में गोचर करेंगे। ग्रहों के राजकुमार बुध तुला राशि में संचरण कर रहे हैं। शुक्र सिंह राशि और मंगल तुला राशि में विराजमान हैं। सूर्य कन्या राशि में भ्रमण कर रहे करेंगे। राहु भी कुंभ राशि में विराजमान हैं। इसके अलावा उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र का संयोग बन रहा है। वृद्धि और ध्रुव योग का निर्माण भी हो रहा है।

इन राशियों को होगा लाभ
वृश्चिक राशि:- वृश्चिक राशि के लिए इस बार की शरद पूर्णिमा बेहद ही खास रहने वाली है। जातकों को भाग्य का साथ मिलेगा। आप अपने लक्ष्य को पूरा करने में सफल होंगे। प्रमोशन मिल सकता है। पैसों से जुड़ी सारी समस्याएं खत्म होगी। जीवन में किसी खास व्यक्ति का आगमन होगा। वैवाहिक जीवन में भी खुशहाली आएगी।

मीन राशि:– मीन राशि के जातकों पर पर भी मां लक्ष्मी की खास कृपा बरसने वाली है। प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ दोनों में संतुलन बना रहेगा। प्रेमियों के लिए यह समय शुभ रहेगा। इनकम में वृद्धि होगी। जीवन में सुख समृद्धि आएगी। कारोबार में तरक्की के योग भी बनेंगे। किस्मत का साथ मिलेगा। तनाव से छुटकारा मिलेगा।

वृषभ राशि:– वृषभ राशि के जातकों के लिए भी यह समय अनुकूल रहने वाला है। धन-धान्य में वृद्धि होगी। कमाई के नए रास्ते खुलेंगे। नौकरी की तलाश भी पूरी होगी। छात्रों को कोई अच्छी खबर मिल सकती है। परिवार में सुख शांति बनी रहेगी। समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। पदोन्नति और वेतन वृद्धि की खबर भी मिल सकती है।
शरद पूर्णिमा का महत्व

हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। 6 अक्टूबर दोपहर 12:23 बजे पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी। वहीं इसका समापन 7 अक्टूबर सुबह 9:16 बजे होगा। पूर्णिमा 7 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं निपुण होते हैं। अमृत वर्षा करते हैं। इसलिए पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में खीर को रखा जाता है, जिसे लोग सुबह खाते हैं। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। जिससे सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। जीवन की समस्याएं भी खत्म होती हैं।

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