भोपाल में भदभदा स्थित फोरेंसिक प्रयोगशाला में मादक पदार्थों के सैंपलों की जांच के लिए दो करोड़ रुपये से ड्रग डिटेक्शन मशीन लगाई जा रही है। मशीन से मादक पदार्थों की जांच करीब दो घंटे में हो जाएगी। मौजूदा मशीनों में जांच के लिए डाले गए सैंपल की पहचान करने के लिए संभावित मादक पदार्थ के साथ ही उसे मूल रूप से भी डाला जाता है।
इसी के आधार पर मशीन पहचान करती है कि जो संदिग्ध सैंपल है वह क्या है। उदाहरण के तौर पर मशीन में जांच के लिए लगाए गए सैंपल में अफीम होने की संभावना है तो जांच के लिए अफीम का मौलिक सैंपल भी मशीन में रखा जाता है। अब ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मशीन संदिग्ध सैंपल की जांच करके ही बता देगी कि इसमें कौन सा तत्व है। प्रदेश में पहली बार इस तरह की मशीन लगाई जा रही है।
अभी जांच करने में करीब दो दिन लग रहे हैं। इसकी वजह है कि संदिग्ध सैंपल की पहचान के लिए कई बार एक-एक कर विभिन्न प्रकार के मादक पदार्थों के मूल सैंपल मशीन में रखने पड़ते हैं तब जाकर संदिग्ध सैंपल की पहचान हो पाती है। अधिकारियों ने बताया कि पहले उस मादक पदार्थ को मूल सैंपल में रखा जाता है जिसकी संभावना संदिग्ध सैंपल में होने की ज्यादा संभावना रहती है। मिलान नहीं होने पर दूसरे मादक पदार्थों का मूल सैंपल रखा जाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कि संदिग्ध सैंपल की पहचान न हो जाए।