राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का देश के नाम संदे
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। ये इस अवसर पर उनका पहला भाषण है। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत देशवासियों को गणतंत्र दिवस की बधाई के साथ की। राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि संविधान के लागू होने से लेकर आज तक हमारी यात्रा अद्भुत रही है। इससे अन्य देशों को प्रेरणा मिली है। हर नागरिक को भारत की गौरव गाथा पर गर्व का अनुभव होता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारत गरीब और निरक्षर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए विश्व मंच पर आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र का स्थान ले चुका है। उन्होंने कहा, ”संविधान निर्माताओं की सामूहिक बुद्धिमत्ता से मिले मार्गदर्शन के बिना यह प्रगति संभव नहीं थी।”
सारे पंथों और भाषाओं ने हमें जोड़ा
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि हम सब एक ही हैं और भारतीय है। इतने सारे पंथों और भाषाओं ने हमें अलग नहीं किया बल्कि हमें जोड़ा है। हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में सफल हुए। यह देश का सार तत्व है।