भोपाल, मध्य प्रदेश की बंद कोयला खदानों का उपयोग अब एम सैंड (यांत्रिकी क्रिया द्वारा पत्थर से निर्मित रेत) बनाने में उपयोग किया जाएगा। खदानों से पर्याप्त मात्रा में कोयला निकालने के बाद पत्थरों का बड़ा सा पहाड़ खड़ा हो जाता है। इन पत्थरों से रेत बनाई जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार कोल इंडिया से भी बात कर रही है। फिलहाल, सिंगरौली में इस तरह का प्लांट संचालित किया जा रहा है। इसी तर्ज पर प्रदेश के अन्य जिलों में यह प्रयोग करने की तैयारी है।
सिगरौली में एनसीएल चला रही एम सैंड निर्माण संयंत्र
सिंगरौली जिले में भारत सरकार की मिनीरत्न कंपनी नार्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) एम सैंड निर्माण संयंत्र संचालित कर रही है। एनसीएल आने वाले समय में अपनी विभिन्न परियोजनाओं में इस तरह के संयंत्र की स्थापना पर विचार कर रही है। एनसीएल इस प्लांट के माध्यम से प्रति दिन एक हजार क्यूबिक मीटर रेत बनाएगी, जिसके लिए 1429 क्यूबिक मीटर अधिभार का उपयोग किया जाएगा। इस प्रकार एनसीएल वर्षभर में तीन लाख क्यूबिक मीटर एम सैंड का उत्पादन करेगी।
नदी की रेत पर निर्भरता कम करने एम सेंड को बढ़ावा दे रही सरकार
राज्य सरकार की मंशा है कि नदी से निकलने वाली प्राकृतिक रेत पर निर्भरता कम हो और नदियों को बचाया जा सके। इसके लिए राज्य सरकार एम सैंड को प्रोत्साहित कर रही है, यही वजह है कि एम सैंड पर रायल्टी भी बहुत कम रखी है। नई रेत नीति में एम सैंड के लिए अलग से प्रविधान किए जाएंगे। इसके लिए अन्य राज्यों का भी अध्ययन कराया जा रहा है।