बुधादित्य और ब्रह्म शुभ योग में सोमवार को मनेगी गुरु पूर्णिमा

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बुधादित्य और ब्रह्म शुभ योग में सोमवार को मनेगी गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि तीन जुलाई सोमवार को है। इसे गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा पर इंद्र योग प्रात:काल से दोपहर 12:15 बजे तक है। इस योग में गुरुदक्षिणा लेना बेहद शुभ माना गया है। राजधानी भोपाल में धूमधाम से गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी। 15 से अधिक जगहों पर बड़े आयोजन होंगे, जिसकी तैयारी जोर-सोर से चल रही है। मां चामुंडा दरबार के पंडित रामजीवन दुबे गुरुजी ने बताया कि इस बार गुरु पूर्णिमा पर वाशी, सुनफा, बुधादित्य और ब्रह्म योग जैसे शुभ योगों का संयोग रहेगा। वहीं मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि वालों के लिए भद्र योग और वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि वालों के लिए शश योग बन रहा है। इन शुभ योग और मुहूर्त में गुरुदेव की पूजा से विशेष लाभ मिलता है।
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। महर्षि वेदव्यास ने चारों वेदों की रचना की थी। इस कारण इन्हें प्रथम गुरु का दर्जा दिया जाता है।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा सोमवार तीन जुलाई गुरू पूर्णिमा पर सुबह 10:15 से 11:15 बजे तक शुभ मुहूर्त है। इसके बाद दोपहर 12:15 से 1:30 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। दोपहर के बाद शाम चार से छह बजे तक लाभ-अमृत का मुहूर्त रहेगा।

गुरु मंत्र प्राप्ति मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा पर इंद्र योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 12:15 बजे तक है, गुरु पूर्णिमा के दिन इस योग में जो व्यक्ति गुरु मंत्र लेता है, सर्वत्र विजयी होता है। गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धनु राशि में रहते हैं, जिसपर बृहस्पति का शासन है। साथ ही पूवार्षाढ़ा नक्षत्र है, जिस पर इस समय शुक्र का शासन है। यही कारण है कि चंद्रमा को व्यक्ति के दिल और दिमाग का स्वामी माना जाता है। यह दिल और दिमाग के बीच का संबंध है जिसे हमारे गुरु पोषित करते हैं, जिससे हमें एक ऐसा व्यवहार विकसित करने में मदद मिलती है जो नैतिक और व्यावहारिक दोनों है।

गुरु पूर्णिमा पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नानादि से निवृत होकर शिवजी और भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके बाद देवगुरु बृहस्पति, महर्षि वेदव्यास की पूजा करें फिर अपने गुरु का पूजन करें। उन्हें नए वस्त्र, गुरुदक्षिणा, मिष्ठान, श्रीफल इत्यादि भेंट करें और उनसे सुखद भविष्य के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें। यदि आपके गुरुदेव ब्रह्मलीन है तो उनकी समाधि स्थल पर जाकर नमन करें, पुष्प माला अर्पित कर उनकी पूजा-अर्चना करें और आशीर्वाद प्राप्ति की कामना करें।

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