आइये जानते हैं इस साहसी सुपर मॉडल की कहानी जो आज की युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल है।
अहमदाबाद में पली बढ़ी पूजा ने 2012 में “क्लीन एंड क्लियर अहमदाबाद टाइम्स फ्रेश फेस” इवेंट जीतने के बाद मॉडलिंग की दुनिया में अपना पहला कदम रखा। मुंबई मॉडलिंग जगत में धाक जमाने के बाद पूजा 2016 से न्यूयोर्क मे रह रही हैं। पूजा केल्विन क्लाईन, गिवेंची, रोबेर्टो कावाली, लुइ वित्तों जैसे लक्ज़री ब्रांड्स के लिए मॉडलिंग कर चुकी हैं और उन्हें भारत की सबसे सफल मॉडल्स में से एक माना जाता है। पूजा को वोग ब्यूटी अवार्ड्स 2016 में “मॉडल ऑफ द ईयर” का पुरस्कार मिला। 2018 में, उन्हें ब्रिटिश फैशन काउंसिल द्वारा “न्यू वेव: क्रिएटिव” पुरस्कार मिला।
पूजा कहती हैं कि मॉडलिंग का पेशा शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण है। अपना स्वास्थ्य और संयम बनाये रखने के लिए, पूजा पिछले चार वर्षों से फालुन दाफा साधना का अभ्यास रही हैं। उनका कहना है, “मैं सुबह का समय फालुन दाफा अभ्यास के लिए रखती हूँ। यह वह समय है जब मैं स्वयं से जुड़ पाती हूँ – अपने अंदर झांक पाती हूँ।“
फालुन दाफा की बात की जाये तो यह मन और शरीर का एक प्राचीन साधना अभ्यास है जो सत्य-करुणा-सहनशीलता के सिद्धांतों पर आधारित है। इसमें पांच सौम्य और प्रभावी व्यायामों का भी समावेश है जो व्यक्ति के शरीर को शुद्ध करने, तनाव से राहत और आंतरिक शांति प्रदान करने में सहायता करते हैं। इसके बारे में और जानकारी के लिए देखें: www.falundafa.org या www.falundafaindia.org.
फालुन दाफा का अभ्यास आज दुनियाभर में 114 से अधिक देशों में 10 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा किया जा रहा है। लेकिन दुःख की बात यह है कि चीन, जो फालुन दाफा की जन्म भूमि है, वहां जुलाई 1999 से इसका दमन किया जा रहा है।
पिछले वर्ष 19 अक्टूबर को मुंबई में आयोजित वोग वूमेन ऑफ द ईयर 2019 के पुरस्कारों में, पूजा को अंतरराष्ट्रीय और बॉलीवुड हस्तियों के बीच “यंग एचीवर ऑफ़ द इयर” पुरस्कार प्रदान किया गया। पुरस्कार समारोह में सनसनी फैल गयी जब पूजा ने अपने स्वीकृति भाषण में चीन में फालुन दाफा अभ्यासियों पर हो रहे क्रूर दमन के बारे में खुलासा किया। पूजा ने अपने भाषण में बताया, “फालुन दाफा सत्य-करुणा-सहनशीलता पर आधारित ध्यान अभ्यास है, जिसके मूल्यों को अपनाने से मैं एक बेहतर इन्सान बनी हूँ। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी फालुन दाफा अभ्यासियों का चीन में दमन कर रही है, उन्हें यातना शिविरों में कैद कर लिया जाता है और उनके अंगों को जबरन निकाल कर अंग प्रत्यारोपण के लिए अवैध रूप से बेच दिया जाता है।”
समारोह में लोगों ने पूजा के इस कथन की सराहना की और और अनेक पत्र-पत्रिकाओं में उनके इंटरव्यू छपे. पूजा ने आगे कहा, “मैं यहाँ बैठ कर लाखों निर्दोष लोगों पर अत्याचार होते हुए और उनके अंगों को जबरन निकाले जाते हुए नहीं देख सकती। मुझे इसके लिए खड़ा होना है – यह मेरा अभियान है, और मै उन लोगों की आवाज़ बनना चाहती हूँ जिनकी आवाज़ को दबा दिया गया है।”
भारत जहाँ चीन के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप न करने की नीति पर कायम है, चीन पाकिस्तान की शह पर कश्मीर मसले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उछालने में परहेज नहीं करता। भारत पर दबाव बनाने के लिये चीन मसूद अजहर समर्थन, अरुणाचल प्रदेश, डोकलाम, आदि मुद्दों का इस्तेमाल करता रहा है। चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी द्वारा तिब्बती बुद्धिस्ट, वीगर मुस्लिम और फालुन दाफा अभ्यासियों पर किये जा रहे क्रूर मानवाधिकार अपराधों का खुलासा कर के ही चीन को बेनकाब किया जा सकता है। इस परिपेक्ष में पूजा मोर का उपरोक्त बयान खासा महत्वपूर्ण हो जाता है।
जहां आज के बॉलीवुड सितारे देश हित भूल कर चीनी मोबाइल फ़ोन और उत्पादों का विज्ञापन कर रहे हैं, पूजा मोर के साहस की निश्चित ही सराहना होनी चाहिए। नि:संदेह पूजा आज की युवा पीढ़ी के लिए एक रोल मॉडल है।