चीन में फालुन दाफा दमन के 24 साल – भारत में मनाया गया “विरोध दिवस”।

मुंबई में सत्य, करुणा, सहनशीलता कला प्रदर्शनी का आशा और साहस का संदेश

फालुन दाफा, मन और शरीर का एक साधना अभ्यास है, जो दुनिया भर में 100 से अधिक देशों में लोकप्रिय है। लेकिन दु:ख की बात यह है कि चीन, जो इसका जन्मस्थान है, वहां 20 जुलाई 1999 से कम्युनिस्ट शासन द्वारा इस पर अत्याचार किया जा रहा है।
दुनिया भर में फालुन दाफा अभ्यासी इस दिन को शांतिपूर्ण प्रदर्शन, रैलियां और कैंडललाइट विजिल द्वारा “विरोध दिवस” के रूप में मनाते हैं, जिससे लोगों को इस क्रूर दमन के बारे में जागरूक किया जा सके।
इस अवसर पर, भारत में फालुन दाफा अभ्यासियों ने भी चीन में 24 वर्षों से चल रहे दमन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न शहरों में कार्यक्रम आयोजित किए।

मुंबई

इस अवसर पर, फालुन दाफा एसोसिएशन ऑफ इंडिया 20 से 23 जुलाई, 2023 तक जहांगीर आर्ट गैलरी, मुंबई में “सत्य, करुणा, सहनशीलता अंतर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी” का आयोजन किया। इस कला प्रदर्शनी ने दुनिया भर के 50 देशों के 900 से अधिक शहरों का दौरा किया है।
प्रदर्शनी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित कलाकारों की कलाकृतियां शामिल हैं। यह एक असाधारण रूप से मार्मिक, अंतरंग और प्रेरक कला प्रदर्शनी है जिसमें एक आंतरिक आध्यात्मिक जीवन और एक बाहरी मानवाधिकार त्रासदी दोनों का चित्रण किया गया है। कुछ कलाकारों को स्वयं चीनी शासन द्वारा उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।

प्रदर्शनी को जनता से अच्छी प्रतिक्रिया मिली। टीवी कलाकार सुचित्रा पिल्लई, मनराज सिंह और उत्तर-पूर्व की प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री और मॉडल एंड्रिया केविचुसा जैसी कई हस्तियों ने प्रदर्शनी का दौरा किया। वे कलाकृतियों में चित्रित आशा और साहस की अंतर्निहित कहानियों से प्रभावित हुए।
फालुन दाफा अभ्यासियों ने चीन में अमानवीय दमन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 22 जुलाई को गेटवे ऑफ इंडिया के पास शांतिपूर्ण कैंडल लाइट विजिल किया।

नागपुर
नागपुर में, चीन में दमन का सामना कर रहे फालुन दाफा अभ्यासियों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक शांतिपूर्ण कैंडल लाइट विजिल कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन संविधान चौराहे पर किया गया। इस कार्यक्रम को कई प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने कवर किया।

बैंगलोर

बैंगलोर में, चीन में क्रूर दमन में अपनी जान गंवाने वाले फालुन दाफा अभ्यासियों को याद करने के लिए कैंडललाइट विजिल कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम बेंगलुरु के एक मशहूर मॉल में आयोजित किया गया था। कई लोगों ने पत्रक स्वीकार किये और दमन के बारे में जानकारी ली।
कोलकाता, हैदराबाद और अन्य शहरों में भी, स्थानीय अभ्यासियों ने सार्वजनिक स्थानों पर ध्यान और कैंडल लाइट विजिल कार्यक्रम आयोजित किये।
यह भारत के लिए क्यों प्रासंगिक है?
भारत और चीन के बीच रिश्ते पिछले काफी समय से तनावपूर्ण बने हुए हैं। भारत पर दबाव बनाने के लिए चीन मसूद अज़हर मुद्दा, अरुणाचल प्रदेश, सीमा विवाद आदि का इस्तेमाल करता रहा है, लेकिन चीन आज ख़ुद दोराहे पर खड़ा है। एक ओर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी है जिसका इतिहास झूठ, छल और धोखाधड़ी का रहा है। दूसरी ओर लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की आवाजें उठ रही हैं। भारत को चीन में मानवाधिकारों के हनन की निंदा करनी चाहिए। यही सोच और रुख भारत को विश्वगुरु का दर्जा दिला सकता है।

Previous articleEye flu: दो गज दुरी और हाथों की लगातार सफाई ही बचाव
Next articleएलिवेटेड ब्रिज को लेकर व्यापारियों का विरोध