चंद्रयान-3 के लिए पूरा देश उत्साह से लबरेज है। 140 करोड़ भारतीयों समेत पूरी दुनिया की निगाहें मून मिशन पर टिकी है। आज शाम भारतीय समयानुसार शाम 6.04 बजे लैंडर विक्रम चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की जाना है । साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। इस मिशन पर 600 करोड़ रुपए का खर्च आया है। इसरो 5.20 बजे इस घटनाक्रम का सीधा प्रसारण करेगा।
भारत का चंद्रयान-3 कुछ ही घंटों बाद चांद की सतह पर लैंड करने वाला है। Chandrayaan-3 का विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला है, जहां दुनिया को कोई भी देश आज तक सफल लैंडिंग नहीं कर पाया है। बीते सप्ताह रूस के अंतरिक्ष यान लूना-25 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर क्रैश लैंडिंग हो गई थी। लूना-25 यदि सफलतापूर्वक लैंड कर जाता तो शायद भारत संभवत: दुनिया का दूसरा देश होता, जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग होता।इसरो ने चांद के दक्षिणी ध्रुव के जिस लोंगिट्यूड और लैटीट्यूड पर विक्रम लैंडर के उतरने के संकेत दिए हैं, उससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि विक्रम लैंडर मैनिंजस क्रेटर के आसपास ही कहीं उतरेगा।
कैसा है चांद का मैनिंजस क्रेटर
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर Maginus Crater दक्षिण पूर्व दिशा में स्थित है। इस क्रेटर के उत्तर में प्रॉक्टर मैनिंजस क्रेटर है, वहीं दक्षिण पूर्व दिशा में डेलुक क्रेटर है। Maginus Crater के पूर्वी हिस्से कई विशाल गड्ढे भी हैं। मैजिनस क्रेटर का व्यास करीब 168 किलोमीटर है। यह अपेक्षाकृत अच्छी तरह से संरक्षित किनारे वाला एक बड़ा गड्ढा है। इस क्रेटर का अधिकांश धरातल सपाट और चिकना है। क्रेटर के आंतरिक हिस्से में कुछ ऊंचे शिखर वाले पहाड़ भी हैं।
3.8 अरब साल पहले बना था ये क्रेटर
माना जाता है कि मैजिनस क्रेटर का निर्माण लगभग 3.8 अरब वर्ष पहले सौर मंडल के प्रारंभिक इतिहास के दौरान हुआ था। मैजिनस क्रेटर को धरती से दूरबीनों के सहयोग से आसानी से देखा जा सकता है।