भारत में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को हाल ही में बड़ा बूस्ट मिला है. सरकार ने पहली बार डिफेंस सेक्टर में किसी 100 पर्सेंट एफडीआई के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. एफडीआई का यह प्रस्ताव भारत में ही रॉकेट के विनिर्माण से जुड़ा हुआ है. इसका मतलब हुआ कि प्रस्ताव देने वाली फेमस विदेशी डिफेंस कंपनी जल्दी ही मेड-इन-इंडिया रॉकेट बनाने वाली है.
बनाई जा चुकी है नई कंपनी
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने जिस प्रस्ताव को मंजूरी दी है, वह स्वीडन की कंपनी साब का है. साब ने रॉकेट मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी लगाने के लिए एफडीआई का यह प्रस्ताव दिया है. इसके लिए साब एफएफवी इंडिया नाम से एक नई कंपनी रजिस्टर कराई गई है. कंपनी भारत में कार्ल-गुस्ताफ एम4 सिस्टम रॉकेट की नई पीढ़ी का विनिर्माण करने वाली है. इस एफडीआई प्रस्ताव की वैल्यू 500 करोड़ रुपये से कम बताई जा रही है.
इस राज्य में बन सकता है प्लांट
साब अभी तक कार्ल-गुस्ताफ एम4 सिस्टम का विनिर्माण सिर्फ स्वीडन में करती है. इस रॉकेट का इस्तेमाल भारतीय सेना पहले से कर रही है. भारत के अलावा अमेरिका और यूरोप के कई देश भी इस रॉकेट का इस्तेमाल करते हैं. ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साब की रॉकेट फैसिलिटी हरियाणा राज्य में बनाई जा सकती है. साब की वेबसाइट पर बताया गया है कि उसकी भारतीय फैसिलिटी में अगले साल से मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत हो सकती है.
दशकों पुरानी है भागीदारी
भारतीय सेना दशकों से साब के रॉकेट का इस्तेमाल कर रही है. कार्ल-गुस्ताफ सिस्टम के लिए भारतीय सेना और साब के बीच सबसे पहले 1976 में एग्रीमेंट हुआ था. इस एफडीआई प्रस्ताव से पहले साब भारतीय कंपनियों म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड और एडवांस्ड वीपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड के साथ मिलकर भारतीय सेना के लिए हथियार व आयुध बना रही थी.
2015 में नियम किए गए आसान
यह पहला ऐसा मामला होगा, जब डिफेंस सेक्टर में किसी 100 पर्सेंट एफडीआई के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई हो. भारत में अभी तक ऑटोमैटिक रूट से डिफेंस सेक्टर में 74 फीसदी तक एफडीआई अलॉउड है. उससे ऊपर एफडीआई के लिए मामला-दर-मामला आधार पर मंजूरी दी जाती है. सरकार ने 2015 में एफडीआई से जुड़े नियमों को आसान बनाया था.