केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने परिवर्तनकारी “मेक इन इंडिया” पहल का एक दशक पूरे होने पर, भारतीय उद्योग से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “शून्य प्रभाव; शून्य दोष” के साथ मेक इन इंडिया की परिकल्पना के अनुरूप टिकाऊ प्रथाओं के माध्यम से ब्रांड इंडिया को प्रोत्साहन देने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सामानों के उत्पादन को प्राथमिकता देने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।
गोयल ने बातचीत के एक सत्र में 140 से अधिक उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की लाभार्थी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के साथ बातचीत करते हुए, उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के अंतर्गत उनकी उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए यह बात कही।
पीयूष गोयल ने सभा को संबोधित करते हुए, उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की लाभार्थी कंपनियों के प्रयासों की प्रशंसा की, जो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने, नौकरियों के अवसर पैदा करने और भारत को विनिर्माण क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व के रूप में स्थापित करने में सहायक रहे हैं। गोयल ने वैश्विक चैंपियंस को उनके समर्पण, नवीन उत्पादों के उत्पादन में महत्वपूर्ण निवेश और उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं के माध्यम से रोजगार पैदा करने में योगदान के लिए आभार व्यक्त किया।
गोयल ने मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपने उत्पादों में घरेलू मूल्यवर्धन बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने उद्योग जगत से इस संबंध में घरेलू निर्माताओं का समर्थन करने का भी आग्रह किया।
तीन घंटे की लंबी बातचीत के दौरान, लाभार्थी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) ने उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं पर अपने दृष्टिकोण साझा किए। उन्होंने योजनाओं की प्रभावशीलता में सुधार और कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित करने के लिए अपने अनुभवों, सफलता की कहानियों और सुझावों में मूल्यवान सुझाव प्रदान किए। चर्चा ने उद्योग हितधारकों और सरकार के बीच खुले संचार के लिए एक उत्पादक मंच प्रदान किया। उन्होंने व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिए कानूनों के गैर-अपराधीकरण/उदारीकरण पर उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से प्रतिक्रिया भी मांगी।
गोयल ने उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के साथ समन्वय में लागू करने वाले मंत्रालयों/विभागों और संबंधित परियोजना प्रबंधन एजेंसियों (पीएमए) के माध्यम से उद्योग के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच निरंतर बातचीत को प्रोत्साहित किया, नीति समर्थन के महत्व पर जोर दिया और भविष्य के विकास के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने के लिए आग्रह किया। उन्होंने उल्लेख किया कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और विदेशी सहयोग की सुविधा के लिए उद्योग हितधारक इन्वेस्ट इंडिया, राष्ट्रीय निवेश संवर्धन और सुविधा एजेंसी से संपर्क कर सकते हैं।
गोयल ने उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं के अंतर्गत कड़ी मेहनत, बड़े पैमाने पर निवेश और रोजगार पैदा करने के लिए वैश्विक चैंपियनों को धन्यवाद दिया। उन्होंने आगे कहा कि सरकार उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना उद्योग से संबंधित सभी आवश्यक मंजूरी की तेजी से निगरानी करने और अधिक बाजार पहुंच प्राप्त करने में सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
कार्यान्वयन मंत्रालयों/विभागों और परियोजना प्रबंधन एजेंसियों (पीएमए) के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। बातचीत में 14 क्षेत्रों में उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना द्वारा दिए गए ठोस परिणामों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे विनिर्माण क्षेत्र में उछाल आया और भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को पार कर गया।
बातचीत के एक भाग के रूप में, सभी प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम के प्रसारण के 114वें संस्करण को देखा, जिसमें माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बताया कि कैसे “मेक इन इंडिया” अभियान ने भारत को एक विनिर्माण महाशक्ति बनाने में योगदान दिया है जिसके परिणामस्वरूप प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में निरंतर वृद्धि के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा, कपड़ा, विमानन, ऑटोमोबाइल सहित अन्य क्षेत्रों में निर्यात में वृद्धि हुई है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर बल दिया कि देश अब “गुणवत्ता: वैश्विक मानकों के उत्पाद” और “वोकल फॉर लोकल: स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने” पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
बैठक के दौरान उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं की समग्र उपलब्धि पर भी चर्चा की गई। वास्तविक निवेश 1.46 लाख करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है (अगस्त 24 तक) और अगले साल या उसके आसपास 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। इसके परिणामस्वरूप 12.50 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन/बिक्री हुई है और लगभग 9.5 लाख (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं, जिसके जल्द ही 12 लाख तक पहुंचने की संभावना है। इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और खाद्य प्रसंस्करण जैसे प्रमुख क्षेत्रों के पर्याप्त योगदान के साथ, निर्यात 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में, मोबाइल फोन विनिर्माण अब भारत के कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का आधा हिस्सा है और वित्त वर्ष 2020-21 के बाद से निर्यात में 3 गुना वृद्धि हुई है। फार्मास्युटिकल उद्योग ने आयात निर्भरता को कम करते हुए थोक दवाओं और महत्वपूर्ण जेनरिक दवाओं के घरेलू उत्पादन को पुनर्जीवित किया है। ऑटोमोबाइल क्षेत्र में, वैश्विक चैंपियनों ने देश में पर्याप्त निवेश के साथ इलेक्ट्रिक वाहन पेश किए हैं। चिकित्सा उपकरण उद्योग ने स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देते हुए सीटी स्कैनर जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण देखा है। इसी तरह, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र ने टिकाऊ कृषि प्रणालियों और मोटा अनाज तथा जैविक उत्पादों के उत्पादन में योगदान दिया। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और स्टार्टअप्स के कारण ड्रोन जैसे उभरते क्षेत्रों के कारोबार में सात गुना वृद्धि हुई है। सौर फोटो वॉल्टिक (पीवी) मॉड्यूल और विशेष इस्पात उद्योगों में भी महत्वपूर्ण निवेश और स्थानीय उत्पादन के साथ मजबूत वृद्धि देखी जा रही है।