विष्णु सहस्रनाम का पाठ, एकादशी, गुरुवार और पूर्णिमा पर पाठ का विशेष फल

विष्णु सहस्रनाम का पाठ, एकादशी, गुरुवार और पूर्णिमा पर पाठ का विशेष फल
विष्णु सहस्त्रनाम मूल रूप से संस्कृत में है, यह भगवान के 1000 नामों की श्रृंखला है। इसे जपने से मानव के समस्त दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं और भगवान विष्णु की अगाध कृपा प्राप्त होती है।

इसका उल्लेख महाभारत के अनुशासन पर्व समेत कई अन्य पुराणों में उल्लेख है। महाभारत के अनुसार भीष्म पितामह जब मृत्यु शैया पर थे, तभी उन्होंने युधिष्ठिर को भगवान विष्णु के एक हजार नामों वाले इस कल्याणकारी स्तोत्र का उपदेश दिया था।

मान्यता है कि यदि कोई विशेष इच्छा है और आसानी से पूरी नहीं हो पा रही है तो यह स्तोत्र काफी प्रभावशाली हो सकता है। विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करने के लिए सिर्फ मन में श्रद्धा और अटूट विश्वास होना आवश्यक है।
कहा जाता है कि जिस प्रकार की मनः स्थिति में भक्त विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करता है, उसी मनोस्थिति में भगवान विष्णु आपकी पूजा को स्वीकार करके आपके ऊपर अपनी कृपा प्रदान करते हैं। फिर भी एक विधि है, अगर इसका पालन किया जाए तो जल्दी भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है।

विष्णु सहस्त्रनाम पाठ विधि (Vishnu Sahastranamam Strotram Path Vidhi)
1.धार्मिक ग्रंथों के अनुसार विष्णु सहस्त्रनाम पाठ के अनुष्ठान की शुरुआत गुरुवार से करनी चाहिए। इसके लिए स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनें, पूजा स्थान पर जल से भरा कलश रखें। जल कलश के बिना ये पाठ अधूरा माना जाता है।
2. कलश पर आम के पत्ते और नारियल रखकर पाठ की शुरुआत करें।
3. विष्णु सहस्त्रनाम के 51 पाठ लगातार 21 दिनों तक करें।
4. पाठ समाप्त होने पर भगवान विष्णु को लगाया पीला भोग ग्रहण करें।

विष्णु सहस्त्रनाम की महिमा (Vishnu Sahastranamam Ki Mahima)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु के सहस्त्र नामों का पाठ बहुत प्रभावशाली है। श्रीहरि भगवान विष्णु के 1000 नामों के स्मरण मात्र से मनुष्य के पातकों का नाश हो जाता है।
जो भी प्राणी भगवान विष्णु के इन 1000 नामों का ध्यान करता है, उसकी आयु, विद्या, यश, बल बढ़ता है। साथ ही यह संपन्नता, सफलता, आरोग्य और सौभाग्य दिलाता है। इनके जाप से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भक्त दैवीय सुख, ऐश्वर्य, संपदा के साथ-साथ संपन्नता का स्वामी बनता है।

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