वीर बाल सप्ताह: मध्यप्रदेश के 7 हजार से अधिक विद्यालयों में गुँजायमान होगी बालवीरों की गाथा

भोपाल, लोक शिक्षण संचालनालय, पंजाबी साहित्य अकादमी, म.प्र. संस्कृति परिषद के संयुक्त तत्वाधान में एवं मातृभाषा मंच के द्वारा मॉडल हायर सेकेण्डरी स्कूल, टी.टी. नगर में 19 से 25 दिसम्बर 2022 को श्री गुरू गोबिन्द सिंह के साहिबजादों एवं माता गुजरी की शहादत को समर्पित “वीर बाल दिवस” सप्ताह के राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आरंभ किया गया।

कार्यक्रम का प्रारंभ गुरूवाणी शबद गायन से किया गया।

मातृभाषा मंच के संयोजक डॉ. अमिताभ सक्सेना द्वारा कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन मे बताया की मातृभाषा मंच का उद्देष्य विभिन्न भाषायी समाजों को जोड़ने का कार्य करती है।

श्रीमती नीरू सिंह ज्ञानी, निर्देशक पंजाबी साहित्य अकादमी कार्यक्रम की प्रस्तावना देते हुए कहा कि यह गर्व का विषय है मध्यप्रदेश सरकार ने लोक शिकक्षण संचालनालय के माध्यम से विद्यार्थियो के बीच श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी के पूरे परिवार द्वारा दिये गये बलिदान को प्रदेश के विद्यार्थियो के बीच गुँजायमान होगा। नीरू सिंह ज्ञानी ने बताया कि देश के प्रति कर्तव्य निभाने एवं समर्पण की कोई उम्र नहीं होती बाल वीरो का बलिदान हमें यही प्रेरणा देता है। मध्य प्रदेश के सभी विद्यार्थी एवं आने वाली पीढ़ी इस अप्रतिम बलिदान से परिचित हो सकें इस निमित्त यह आयोजन एक महत्वपूर्ण प्रयास सिद्ध होगा। उन्होने कहा-शिक्षा का जलाया हुआ दीपक पूरे समाज को रोशन करता है। पंजाबी साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश द्वारा वीर साहिबज़ादों पर केन्द्रित तालगुरू प्रोडक्शन द्वारा तैयार की गई डॉक्यूमेंट्री एवं सिख फाउण्डेशन, नई दिल्ली द्वारा इतिहास लेख को अकादमी द्वारा लोक षिक्षण संचालनालय, को उपलब्ध कराया गया है। क्योंकि 25 दिसम्बर 2022 एवं 26 दिसम्बर 2022 को अवकाश होने के कारण दिनांक 19 से 24 दिसम्बर 2022 तक विद्यार्थी इस इतिहास को जान पाएंगे। दिनांक 19 से 25 दिसम्बर 2022 तक मध्यप्रदेश के सभी संभागों के विद्यालयों में पंजाबी साहित्य अकादमी द्वारा निबंध प्रतियोगिताएं कराई जाएंगी।

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वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. पी.एस. बिंद्रा ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए पंजाबी समाज के बलिदानों का स्मरण किया और कहा कि अभी भी आवष्यकता है कि एक हाथ में माला हो और दूसरे हाथ में भाला होना चाहिये। शस्त्र एवं शास्त्र दोनों का भलीभांति प्रयोग हमें आना चाहिये। डॉ. बिंद्रा ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वह सत्य के मार्ग पर निडर होकर चलें।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय इंदर सिंह परमार, मंत्री सामान्य प्रषासन एवं स्कुल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) मध्य प्रदेश शासन द्वारा कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सिख धर्म के गौरवशाली इतिहास और साहिबजादों की कुर्बानी के बारे में संदेश दिया। Minister of culture department mp usha Thakurस्कूल शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि भारत के गौरवमयी इतिहास को अँग्रेजों ने अपने हित के लिये तोड़ा मरोड़ा। ऐसा उन्होंने किया वो तो उनकी भलाई में था लेकिन स्वाधीनता के बाद भी हम उसी इतिहास को ढो रहे हैं यह गलत है। इतिहासकारों ने जीता हुआ सिकन्दर तो पढ़ाया लेकिन हारा हुआ सिकन्दर नहीं पढ़ाया। गुरू गोविन्द सिंह जी के साहबजादों को याद करते हुए उन समस्त बलिदानियों को भी याद किया जिनके बलिदान से इस देश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सुश्री ऊषा ठाकुर, माननीय मंत्री संस्कृति, पर्यटन एवं अध्यात्म विभाग, मध्य प्रदेष शासन द्वारा भी अपने उद्बोधन में शहीदी के इस पावन दिन को याद कर बाल वीरों के साहस की गाथा का वर्णन किया। संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर ने मंच से यह आग्रह किया कि साहबजादों जैसे सच्चे राष्ट्र नायकों के चित्र हमें हमारे घर में लगाने चाहिये जिससे कि उन्हें देखकर हमें प्रेरणा प्राप्त हो। मंत्री ऊषा ठाकुर ने यह याद दिलाया कि गुरू गोविन्द सिंह के परिवार के बलिदान देने की परंपरा की आज भी आवश्यकता है। उन्होंने अपने भाषण में उन माँओं को भी प्रणाम किया जिन्होंने जीते जी अपने बच्चों का बलिदान दिया।
इस अवसर पर साहबजादों की शहीदी पर केंद्रित “पुस्तक” का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में शहीदी पर एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई एवं स्कूली शिक्षा में भी इस कुर्बानी के इतिहास को जोड़ने एवं विद्यार्थियों को एक संदेष पहुँचाने की बात कही गयी। कार्यक्रम में प्राचार्य मॉडल हायर सेकेण्डरी स्कूल, टी.टी. नगर, भोपाल रेखा शर्मा द्वारा आभार किया गया।

इस कार्यक्रम में अरविन्द चौरगड़े सम्भागीय संयुक्त संचालक भोपाल, प्राचार्य, मॉडल हायर सेकेण्डरी स्कूल रेखा शर्मा एवं उप-प्राचार्य आर. के. श्रीवास्तव जी उपस्थित रहे एवं कार्यक्रम का संचालन रतनजीत सिंह शैरी ने किया।

इस अवसर पर अपर संचालक लोक शिक्षण संचनालय धीरेंद्र चतुर्वेदी , सरदार बृजेंद्र सिंह कुलदीप सिंह हरदीप सिंह कमलजीत कौर प्रकाश कौर गुरप्रीत सिंह जसविंदर सिंह सोहन सिंह प्रीतम सिंह जसपाल सिंह सभी सिख समाज के प्रतिनिधि, विद्वान, शिक्षकगण एंवं विद्यार्थी उपस्थित थें।

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