दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु में हिंदी भाषी प्रवासी मजदूरों पर हमलों के संबंध में फर्जी वीडियो प्रसारित करने के आरोप में गिरफ्तार यूट्यूबर मनीष कश्यप याचिका पर मंगलवार को केंद्र के साथ बिहार, तमिलनाडु सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। याचिकाकर्ता कश्यप ने अपने खिलाफ दर्ज सभी पांच प्राथमिकियों (एफआईआर) की सुनवाई को एक जगह करने का अनुरोध किया है।न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने कश्यप की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे एवं संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद नोटिस जारी किया।पीठ के समक्ष श्री दवे ने अनुरोध करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को दो राज्यों में पांच मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है।उन्होंने पत्रकार अर्नब गोस्वामी के मामले का उल्लेख करते हुए करते हुए कहा कि एक अपराध कई मामलों को जन्म नहीं दे सकता। उन्होंने अदालत से यह निर्देश देने की गुहार लगाई कि बिहार में प्राथमिकी को मुख्य प्राथमिकी बनाया जाए और अन्य सभी मामलों को वहां स्थानांतरित किया जाए।श्री दवे ने पीठ के समक्ष कहा कि उनके मुवक्किल को तमिलनाडु ले जाया गया है, जहां वह भाषा नहीं समझ सके।तमिलनाडु सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कोई साधारण मामला नहीं है। कश्यप को पहले ही राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया जा चुका है।श्री सिब्बल ने पीठ से अनुरोध करते हुए मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद केंद्र, तमिलनाडु और बिहार सरकारों से जवाब एक सप्ताह में दाखिल करने का आदेश देते हुए कहा कि मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को की जाएगी।इससे पहले कश्यप को मदुरै की एक अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।