गणपति बप्पा के भक्त इन दस दिनों में उनके विभिन्न रूपों की उपासना करते हैं। शास्त्रों में गणेश जी को प्रथम देव माना गया है। साथ ही इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा गया है। गणेश जी को रिद्धि सिद्धि के दाता कहा जाता है। इसके साथ ही गणेश जी बुद्धि के भी दाता है। गणेश जी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाले देवता माने गए हैं। गणेश जी की पूजा से माता पार्वती, भगवान शिव और लक्ष्मी जी की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही पाप ग्रह केतु और बुद्धि, वाणिज्य आदि के कारक ग्रह बुध की भी शांति होती है।
केतु ग्रह की शांति
ज्योतिष शास्त्र में केतु को एक पाप ग्रह की श्रेणी में रखा गया है। इसके कारण कुंडली में कई अशुभ योग भी बनते हैं। कालसर्प दोष, चांडाल योग, पितृ दोष, जड़त्व योग आदि राहु और केतु से निर्मित होते हैं। ये व्यक्ति को जीवन भर परेशान करते हैं। इनके कारण व्यक्ति को पूर्ण सफलता नहीं मिल पाती है। इससे कामों में बाधा, परेशानी या फिर कोई न कोई संकट बने ही रहते हैं। इस ग्रह को शांत रखना अत्यंत आवश्यक होता है। गणेश महोत्सव के दौरान गणेश जी की पूजा से केतु ग्रह की अशुभता को दूर किया जा सकता है। माना जाता है कि गणेश जी की पूजा करने से केतु शुभ फल देने लगता है। गणेश महोत्सव के दौरान इस मंत्र का कम से कम एक माना नित्य जाप करना चाहिए।
केतु ग्रह बीज मंत्र – ॐ कें केतवे नमः
बुध ग्रह की शांति
गणेश जी की पूजा से बुध ग्रह की भी शांति होती है। अगर ये ग्रह अशुभ फल प्रदान कर रहा है तो गणेश जी की पूजा करने से ये शुभ फल देने लगता है। बुध को ज्योतिष शास्त्र में व्यापार का देवता और रक्षक माना गया है। इसके साथ ही बुध को गणित, त्वचा, लेखन, वाणी आदि का भी कारक माना गया है। गणेश जी को प्रतिदिन दूर्वा घास अर्पित करने और इस मंत्र का जाप करने से बुध ग्रह की शांति होती है।
बुध ग्रह बीज मंत्र – ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः