राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को विश्व विख्यात तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर शोक व्यक्त किया और तबले को वैश्विक मंच पर ले जाने में जाकिर हुसैन के योगदान को याद करते हुए उन्हें सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बताया।
राष्ट्रपति मुर्मु ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, “तबला के जादूगर उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन संगीत जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है। वे अपनी असाधारण रचनात्मकता और आविष्कारशीलता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने दुनिया भर के संगीत प्रेमियों की कई पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध किया। वे भारत और पश्चिम की संगीत परंपराओं के बीच एक सेतु थे। मुझे उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित करने का सौभाग्य मिला। मैं उनके परिवार के सदस्यों और उनके अनगिनत प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं।”
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक्स पर लिखा, “दिग्गज तबला वादक पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन जी के निधन की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ। भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर ले जाने वाले प्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन अपने पीछे एक समृद्ध विरासत और भारत के सांस्कृतिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ गए हैं। उनकी अद्वितीय कला हमेशा हमारे दिलों में गूंजती रहेगी।”
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, “महान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन से बहुत दुखी हूं। उन्हें एक सच्चे प्रतिभाशाली व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में क्रांति ला दी। वह तबले को वैश्विक मंच पर भी ले गये और अपनी अद्वितीय लय से लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध किया। इसके माध्यम से, उन्होंने भारतीय शास्त्रीय परंपराओं को वैश्विक संगीत के साथ सहजता से मिश्रित किया, इस प्रकार वे सांस्कृतिक एकता के प्रतीक बन गए। उनके प्रतिष्ठित प्रदर्शन और भावपूर्ण रचनाएं संगीतकारों और संगीत प्रेमियों की पीढ़ियों को प्रेरित करने में योगदान देंगी। उनके परिवार, दोस्तों और वैश्विक संगीत समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं हैं।”
उल्लेखनीय है कि सुप्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन का अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर में निधन हो गया। वह 73 वर्ष के थे। वह 1970 के दशक में मुंबई से मैरिन काउंटी चले गए थे।