वनों का संरक्षण एवं संवर्धन पहली प्राथमिकता : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश के वनों के संरक्षण एवं संवर्धन को पहली प्राथमिकता में रखा गया है। वनों को हरा-भरा रखने के लिये अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। अब प्रदेश का वन क्षेत्र बढ़ रहा है और ओपन फारेस्ट कम हो रहा है। मध्यप्रदेश वनों में हर्बल औषधियों का भी खजाना है। वर्ष 2024-25 में वन विभाग 6 करोड़ से अधिक की हर्बल औषधियों की आपूर्ति आयुष विभाग एवं सरकारी संस्थानों को कर चुका है। मध्यप्रदेश प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता, विशेष वन एवं वन्य प्राणियों की विविधता के लिये जाना जाता है। यहां वनों के रहने और नदियों के बहने का भी संबंध है। वनों की गोद से निकली सोन, नर्मदा, ताप्ती, चंबल के साथ सिंध, बेतवा, केन, धसान, तवा, क्षिप्रा और कालीसिंध जैसी नदियां जन-जीवन को जीवन दे रही हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि प्रदेश में वनों से निकलने वाले तेन्दूपत्ता से 15 लाख परिवारों की आजीविका चल रही है। इससे 35 लाख लोग जुड़े हुये हैं, जिनमें 15 लाख पुरूष और 20 लाख से अधिक महिलाएं हैं। प्रदेश के वनों से हर वर्ष 12 लाख बोरा से अधिक तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया जाता है। प्रदेश सरकार ने तेन्दूपत्ता संग्रहण करने वालों का पारिश्रमिक 3 हजार से बढ़ाकर 4 हजार रूपए प्रति मानक बोरा कर दिया है। वनोपजों के संग्रहण एवं विपणन के अधिकार ग्राम सभाओं को दिये गये हैं। तेन्दूपत्ता का संग्रहण एवं विपणन मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज व्यापार एवं विकास सहकारी संघ मर्यादित के माध्यम से कराया जाता है।