राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज राजस्थान के उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के 32वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि यह तेजी से बदलाव का समय है, जो ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी हो रहा है। उन्होंने छात्रों को हमेशा “छात्र की भावना” बनाए रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि निरंतर कड़ी मेहनत और समर्पण जीवन भर उनके काम आएगा।
राष्ट्रपति ने छात्रों को अपनी महत्वाकांक्षाओं और सामाजिक संवेदनशीलता के बीच संतुलन बनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि संवेदनशीलता एक स्वाभाविक गुण है। कुछ लोग परिवेश, शिक्षा और मूल्यों में व्याप्त बुराइयों से अंधे स्वार्थ का रास्ता अपना लेते हैं। उन्होंने कहा कि दूसरों का भला करने से ही अपना कल्याण किया जा सकता है।
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से ऐसा कोई काम न करने का आग्रह किया जिससे उनके चरित्र पर धब्बा लगे। उन्होंने कहा कि उच्चतम नैतिक मूल्यों को उनके आचरण और कार्यशैली का हिस्सा होना चाहिए। उनके जीवन के हर पहलू में ईमानदारी होनी चाहिए। उनका हर कार्य न्यायपूर्ण और नैतिक होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा सशक्तिकरण का सबसे अच्छा माध्यम है। उन्होंने यह जानकर खुशी जताई कि मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय छह दशकों से अधिक समय से उच्च शिक्षा प्रदान कर रहा है। इस विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों से विद्यार्थियों की बड़ी संख्या हैं। उन्होंने कहा कि समावेशी शिक्षा के माध्यम से सामाजिक न्याय की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण योगदान है।
राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय ने कई गांवों को गोद लिया है और छात्रों को गांव के विकास में शामिल किया है। राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय के अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति सजग रवैये की सराहना की।