अनुकंपा नियुक्ति पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 17 साल बाद निर्णय सुनाया

पिता की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर पुत्र ने ग्रामीनबैंक प्रबन्धन के समक्ष आवेदन पेश किया था। बैंक प्रबंधन ने संचालक मंडल के प्रस्ताव की जानकारी देते हुए आवेदनकर्ता को एकमुश्त राशि
देने का प्रस्ताव रखा था। बैंक प्रबंधन ने हाई कोर्ट के समक्ष भी इसी बात की जानकारी दी। कोर्ट ने बैंक के जवाब के बाद याचिककर्ता को एकमुश्त राशि का भुगतान का निर्देश बैंक प्रबन्धन को देते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।
याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति का इंतजार करते 17 वर्ष हो गया है। फैसले से निराशा ही मिली है। याचिकाकर्ता के लिए राहत वाली बात ये कि अनुकम्पा नियुक्ति की जगह एकमुश्त राशि मिलेगी। याचिकाकर्ता का पिता छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक में फील्ड अफसर के पद पर कार्यरत थे। उनकी
मौत के बाद उसने अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर बैंक प्रबंधन के समक्ष आवेदन पेश किया था। बैंक प्रबंधन ने अनुकम्पा नियुक्ति की जगह एक्सग्रेशिया यानी एकमुश्त राशि देने का प्रस्ताव रखा था। इसे नामंजूर करते हुए उसने अपने वकील के जरिये छत्तीसगढ़ हाई। कोर्ट में याचिका दायर की थी।
बैंक ने हाई कोर्ट को बताया कि 23 मार्च 2007 को संचालक मंडल ने कर्मचारी की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति की जगह एक्सग्रेशिया राशि देने के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है। इसके परिपालन में याचिकाकर्ता को एक्सग्रेशिया राशि देने का प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने राशि लेने से इनकार कर दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास के सिंगल बेंच में हुई। बैंक प्रबंधन के जवाब को सही मानते हुए कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।
महासमुंद निवासी पुनीराम बघेल महासमुंद ग्रामीण बैंक तेंदुकोना ब्रांच में फील्ड अफसर के पद पर पदस्थ थे। वर्ष 2005 में सेवा के दौरान उनका निधन हो गया। बेटे गेंदराम बघेल ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए बैंक में आवेदन पेश किया। गेंदराम ने बैंक प्रबंधन को आवेदन देकर कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरण का निराकरण नहीं होने पर कोर्ट में याचिका प्रस्तुत करेगा। वर्ष 2013 में गेंदराम ने हाई कोर्ट में याचिका पेश की। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने बैंक को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर पुनर्विचार करें।

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